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Introduction to Uttrakhand

उत्तराखण्ड का परिचय

यह उत्तर भारत का एक राज्य है । इसका निर्माण 1 नवम्बर 2000 को कई वर्षो के आन्दोलन के बाद उत्तर प्रदेश से अलग करके उत्तरांचल नाम से बनाया गया था। बाद में इसका नाम बदल कर Uttrakhand कर दिया गया। इसकी सीमाये उत्तर में तिब्बत तथा पूर्व में नेपाल से लगी हुयी है। इसके अलावा पश्चिम में हिमाचल प्रदेश तथा और दक्षिण में उत्तर प्रदेश से लगी है। इसे देवो की भूमि भी कहा जाता है। क्योकि गंगा और यमुना का उद्गम और केदारनाथ इसी राज्य में है।

राजधानी-

उत्तराखण्ड की राजधानी देहरादून है जो राज्य का सबसे बड़ा नगर है। देहरादून हिमालय पर्वत और शिवालिक पर्वत की गोद में स्थित है। मुख्यतः ये हिमालय के दक्षिण में स्थित है। अर्थात देहरादून के उत्तर में हिमालय और दक्षिण में शिवालिक पर्वत हैं

उच्च न्यायलय-

इस राज्य का उच्च न्यायायल नैनीताल है। इसमे मुख्यन्यायधीश और न्यायधीशो की संख्या-11 है

इस समय मुख्यन्यायधीश के रुप में के. एम. जोसफ है।

मंडल और जिले –

उत्तराखंड में कुल तीन मंडल और 13 जिले है।

गढ़वाल मंडल- हरिद्वार, देहरादून,टिहरी,उत्तरकाशी, पौड़ी

गैरसैंण मंडल- रुद्रप्रयाग,चमौली,अल्मोड़ा, बागेश्वर

कुमांऊ मंडल- उधमसिंह नगर,नैनिताल, पिथौरागढ़,चंपावत

राजनीतिक गलियारा

इस समय यह राज्य राजनितिक संकट से गुजर रहा है क्योकि एक ही कार्यकाल में तीन मुख्यमंत्री बदल चुके है। इस समय उत्तराखण्ड के नये मुख्यमंत्री के रुप में पुष्कर सिंह धामी है। इससे पहले यहां पर दस मुख्यमंत्री आसीन हो चुके है।

अब तक के मुख्यमंत्री-

नित्यानन्द स्वामी

भगत सिंह कोश्यारी

नारायण दत्त तिवारी

भुवन चन्द्र खण्डूरी

रमेश पोखरियाल

भुवन चन्द्र खण्डूरी

विजय बहुगुणा

हरीश रावत

त्रिवेंद्र सिंह रावत

तीरथ सिंह रावत

पुष्कर सिंह धामी

राज्य के राज्यपाल-

राज्य के इस समय राज्यपाल के रुप में बेबी रानी मौर्या है। इनके अलावा जो इस पद पर आसीन हुए।

सुरजीत सिंह बरनवाल

सुदर्शन अग्रवाल

बी.एल. जोशी

मार्गरेट अल्वा

अजीज कुरेशी

कृष्ण कांत पॉल

टिहरी बांध-

यह भारत का सबसे ऊँचा तथा विशालकाय बाँध है। इसका निर्माण भागीरथी नदी पर हुआ है । 1978 में यह बनना शुरु हुआ था तथा 2006 में यह पुरा हुआ था। इसके निर्माण में 250 करोड़ डालर खर्च हुआ था। यह बाँध दुनिया का 5 वां सबसे ऊँचा बाँध है। यह बाँध 260.5 मीटर की ऊँचाई पर बना है। लम्बाई 575 मीटर है।

राष्ट्रीय उद्यान

उत्तराखण्ड के कुछ राष्ट्रीय उद्यान जो प्रमुख है

जिम कार्बेट राष्ट्रीयउद्यान (जिम कार्बेट एशिया का पहला राष्ट्रीय उद्यान है),

फूलो घाटी राष्ट्रीय उद्यान

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यह गढ़वाल क्षेत्र के चमौली जिले में स्थित है ।इसकी खोज 1931 में फ्रैंक स्मिथ और उनके साथी होल्डसवर्थ ने की थी। यूनेस्को द्वारा इस 1982 में राष्ट्रीय उद्यान घोषित किया था यह 87.50 वर्ग किलोमीटर में फैला है। इसमे 500 से अधिक फूलो की प्रजातिया देखने को मिलती है। इसको लेकर स्मिथ द्वारा एक किताब लिखी जिसका नाम वैली ऑफ फ्लॉवर्स है।

नंदा देवी राष्ट्रीय उद्यान

यह Uttrakhand राज्य के नंदा देवी की चोटी पर स्थित है। यह उद्यान भी चमौली जिले में स्थित है। इस उद्यान की स्थापना 1982 में हुई थी। उस समय इसका नाम संजय गांधी राष्ट्रीय उद्यान रखा गया था। बाद में इसका नाम नंदा देवी राष्ट्रीय उद्यान रखा गया। 1988 में इसे यूनेस्को द्वारा विश्व धरोवर स्थल का दर्जा दिया है। इसमें सामान्यतः विशाल स्तनधारियों में हिमालय कस्तूरी मृग, मेनलैंड सीरो और हिमालयी तहर हैं। मांसाहारी जीवों में हिम तेंदुआ, हिमालयन ब्लैक बीयर और शायद भूरे भालू भी हैं

गोविंद राष्ट्रीय उद्यान

इसकी स्थापन 1955 में वन्यजीव अभयारण्ड के रुप में किया गया था। और बाद में इसे राष्ट्रीय उद्यान में बदल दिया गया। इसका नाम प्रमुख स्वतंत्रता सेनानी और राजनेता गोविंद बल्लभ पंत के नाम पर किया गया था। इसका क्षेत्रफल 485 वर्गकिलोमीटर है इसमें मुख्य रुप से

कस्तुरी मृग,काला तथा भूरा भालू, गोल्डेन ईगल के लिए प्रसिद्ध है।

असन बैराज पक्षी अभयारण्य

इसकी स्थापना 1967 में किया गया था। यह यमुना और आसन नदियो के अभिसरण बिन्दु पर मानव निर्मित आर्द्रभूमि पर की गई है। यह ढालपुल बिजली घर के पास है इसलिए इसे ढालपुर झील भी कहते है। इसे पक्षीयो का स्वर्ग कहा जाता है। देशी-विदेशी प्रजाति के जिन पक्षियों के कलरों और कोलाहल पक्षी प्रेमियों के कानों को सुकून देते हैं उनमें आईयूसीएन की रेड डाटा बुक (प्रकृति के संरक्षण के लिए अंतर्राष्ट्रीय संघ) द्वारा लुप्तप्राय प्रजातियों के रूप में सूचीबद्ध किया गया हैं।

G7 ग्रुप क्या के बारे मे जानते है

अक्टूबर से नवम्बर तथा फरवरी से मार्च में आप यहां विभिन्न प्रकार की पक्षीया जो देश विदेश से आती है देख सकते है।

राजा जी राष्ट्रीय उद्यान

इस पार्क की स्थापना 1983 में किया गया था। इसमें तीन पार्क (राजाजी, मोतीचूर, चिल्ली) एक पार्क बनाया गया है। इस पार्क का नाम स्वतंत्रता सेनानी चक्रवर्ती राजगोपालाचारी के नाम पर इसका नाम राजाजी राष्ट्रीय उद्यान रखा गया। 830 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैला राजाजी राष्ट्रीय उद्यान अपने यहाँ पाए जाने वाले हाथियों की संख्या के लिए जाना जाता है।  इसमें पक्षीयो की 315 प्रजातियाँ पायी जाती है।

गंगोत्री नेशनल पार्क

इसे 1989 में स्थापित किया गया था। यह उत्तरकाशी जिले भागीरथी नदी के ऊपरी जलग्रहण में स्थित है। इस पार्क के तहत आने वाला क्षेत्र गोविंद राष्ट्रीय उद्यान और केदारनाथ वन्य जीव अभयारण्य के बीच एक वन्य जीवंत निरंतरता बनता है।

इसमे विभिन्न दुर्लभ व लुप्त प्राय जीवजन्तु पाये जाते है जैसे- काले तथा भूरे भालू,हिमालय मोनल, नीली भेड़,हिमालय तहर, कस्तूरी मृग,और हिम तेंदुए।

गंगा नदी का उद्गम स्थल इसी पार्क में है जिसे गोमुख के नाम से जानते है

 

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