G7 विभिन्न विकसित देशो का समूह है। शुरुआत में यह 6 देशो का समूह था। बाद में इसमें कनाडा भी जुड़ गया। कनाडा के जुड़ने से यह ग्रुप 7 देशो का हो गया। कुछ दिनो के बाद इसमे रुस भी शामिल हो गया जिससे यह ग्रुप जी-8 हो गया था।
चर्चा में-
हाल ही ब्रिटेन द्वारा G7 के स्वास्थ्य मंत्रीयो की बैठक किया जा रहा है।
इससे पहले कोरोना महामारी की वजह से G7 में जो देश शामिल है उनका 47वाँ शिखर सम्मेलन स्थगित किया गया था। इस शिखऱ सम्मेलन भारत के प्रधानमंत्री भी आमंत्रित थे।
G7 परिचय-
जी-7 दुनिया की सात सबसे बड़ी कथित विकसित और उन्नत अर्थव्यवस्था वाले देशों का समूह है, जिसमें कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, इटली, जापान, ब्रिटेन और अमरीका शामिल हैं. इसे ग्रुप ऑफ़ सेवन भी कहते हैं.
इसकी स्थापना 1975 में छः देशो के साथ किया गया था।
इसकी प्रथम बैठक 1975 में किया गया था।
1976 में इसमें कनाडा को शामिल कर लिया गया।
1997 में रुस के शामिल होने के बाद यह G7 से G8 हो गया।
2014 में रुस का क्रीमिया से विवाद की वजह से अमेरिका द्वारा रुस का बाहर कर दिया गया जिससे यह फिर G8 से G7 हो गया।
G7 की जरुरत क्यो –
G-7 इसमें शामिल देश विकसित और उन्नत अर्थव्यवस्था वाले है क्योकि ये दुनिया के लगभग 40 प्रतिशत जीडीपी पर इनका कब्जा है।
इसमे शामिल देश अपने आप को कम्यूनिटी ऑफ वैल्यूज यानी मूल्यो का आदर करने वाला समूदाय मानता है।
क्या आप आपातकाल के बारे में जानते है।
इनका प्रमुख सिद्धान्त स्वतंन्त्रा और मानवाधिकारों की सुरक्षा, लोकतंत्र और कानून का शासन और समृद्धि और सतत विकास।
जी-7 काम कैसे करता है-
इसमें शामिल देश के मंत्री या नौकरशाह हर साल आपसी हितो की चर्चा करने के लिए हर साल मिलते है।
प्रत्येक देश बारी बारी से इस समूह की अध्यक्षता करता है। इसके अलावा दो दिवसीय वार्षिक शिखर सम्मेलन की मेजबानी करता है।
विश्व की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था होते हुए भी चीन इसका हिस्सा क्यो नही-
जैसा कि G-7 में वो देश सामिल है जो देश विकसित और उन्नत अर्थव्यवस्था वाले है। यदि उन्नत अर्थव्यवस्था की बात की जाये तो चीन दूनिया की दूसरी सबसे बड़ी अथव्यवस्था है। लेकिन फिर भी यह इसका हिस्सा नही है। जिसका कारण वहां की सबसे बड़ी जनसंख्या है। प्रति व्यक्ति आय जी-7 के मुकाबले बहुत कम है।
जिससे चीन को उन्नत या विकसित अर्थव्यवस्था नही माना जाता है। और इसी कारण चीन इसका हिस्सा नही है।
जी-7 प्रति मतभेद-
जी-7 के प्रति कई देशो में मतभेद भी है। जैसे-
जी-7 में लैटिन अमेरीका और दक्षिणी गोलार्ध ,अफ्रीका कोई भी देश शामिल नही है।
इस समूह की आलोचना इसलिए भी होती है इसमे आर्थिक मुद्दो पर बात नही होती है।
जी-7 तथा भारत का सम्बन्ध-
समय समय पर जी-7 के सदस्य देशो द्वारा अन्य देशो को भी विचार विमर्श के लिए शामिल किया जाता है।
भारत इसमें लम्बे समय से सुधार की बात कर रहा है। पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह द्वारा इसमें 5 बार भाग लिया गया है.
जी-7 का 45वां शिखर सम्मलने जो 2019 में फ्रांस में आयोजित हुआ उसमें फ्रांस के राष्ट्रपति द्वारा लोकतंत्र को बढ़ावा देने और महत्वपूर्ण क्षेत्रीय प्रभाव क्षेत्रीय प्रभाव रखने वाले चार देश भारत, आस्ट्रेलिया,साउथ अफ्रीका,चीली नागरिक समाज के प्रतिनिधियो को इसमें आमंत्रित किया था।