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1 मध्य प्रदेश Madhya Pradesh –

मध्य प्रदेश Madhya Pradesh –

देश के मध्य में स्थित होने के कारण इसको Madhya Pradesh के नाम से जाना जाता है।इसको भारत का हृदय भी कहा जाता है। इसकी राजधानी भोपाल है । मध्य प्रदेश राज्य को राज्य का दर्जा 1 नवम्बर 1956 को दिया गया था। यह उत्तर प्रदेश,राजस्थान, गुजरात,महाराष्ट्र,छत्तीसगढ़ आदि राज्य से घिरा हुआ है। 1 नवम्बर 2000 तक मध्य प्रदेश देश का सबसे बड़ा राज्य था। 2000 में मध्य प्रदेश से एक अलग राज्य छत्तीसगढ़ का गठन हुआ था। इसके बाद से मध्य प्रदेश क्षेत्रफल की दृष्टि से दूसरा सबसे बड़ा राज्य है और जनसंख्या की दृष्टि यह देश में पांचवे स्थान पर है। इसको पर्यटन के लिए भी जाना जाता है क्योकि यहां पर बहुत से धार्मिक स्थल,ऐतिहासिक स्थल है इसके अलावा मध्य प्रदेश की भौगोलिक बनावट भी पर्यावरण की दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण है और भी बहुत सारी चीजे जो मध्य प्रदेश को महत्वपूर्ण है उनके बारे में जानेगें।

मध्य प्रदेश एक परिचय Introduction of madhya pradesh –

  • राज्य का नाम- मध्य प्रदेश
  • राजधानी- भोपाल
  • राज्य के वर्तमान मुख्यमंत्री- श्री शिवराज सिंह चौहान
  • राज्य के राज्यपाल- श्री मंगूभाई छगनभाई पटेल
  • राज्य के प्रथम मुख्यमंत्री- रविशंकर शुक्ल
  • राज्य के प्रथम राज्यपाल-ड़ॉ. पट्टाभी सीतारमय्या
  • राज्य में विधानसभा की कुल सीटें-230
  • राज्य में राज्यसभा की कुल सीटे-11
  • राज्य में लोकसभा की कुल सीटें-29
  • राज्य में कुल जिले-55
  • राजकीय पशु- बारहसिंगा
  • राजकीय पक्षी-दुधराज
  • राजकीय भाषा- हिन्दी
  • राजकीय पुष्प- लिली
  • राजकीय वृक्ष-बरगद
  • राजकीय मछली-महाशीर
  • राजकीय खेल-मलखम्ब
  • राजकीय नृत्य -राई
  • राजकीय फसल- सोयाबीन

मध्य प्रदेश का संक्षिप्त इतिहास Short History of Madhya Pradesh-

स्वत्रंता से पूर्व मध्य प्रदेश 3 से 4 हिस्सो में बटां था। जब देश आजाद हुआ तब 1950 में मध्य प्रांत औऱ बरार को छत्तीसगढ़ मकराइ के रियासतों के साथ मिलाकर मध्य प्रदेश का गठन किया गया था। उस समय इसकी राजधानी नागपुर था। 1956 में जब विध्य प्रदेश और भोपाल को मिला दिया गया और भाषा अलग होने कारण नागपुर को महाराष्ट्र में मिला दिया गया। उसके बाद इसकी राजधानी भोपाल कर दिया गया । 1 नवंबर 2000 मध्य प्रदेश का दोबारा गठन किया गया तब मध्य प्रदेश से छत्तीसगढ़ अलग कर 26वां राज्य का गठन किया गया।

मध्य प्रदेश की नदियां River in Madhya Pradesh-

नदी किसी भी राज्य या देश की जीवन रेखा होती है जो अपने मार्ग द्वारा जगह जगह पर पानी को पहुंचाने का काम करती है। इसी प्रकार मध्य  प्रदेश में बहुत सारी नदियाँ जो मध्य प्रदेश की भूमि को उपजाऊ और हरा बनाती है आइये उनके बारे में जानते है।

नर्मदा-

मध्य प्रदेश में इस नदी को रेवा के नाम से जानते है। इस नदी को मध्य प्रदेश की जीवन रेखा कहते है जो मध्य प्रदेश के अमरकंटक पर्वत से निकलती है। यह मध्य प्रदेश के साथ साथ महाराष्ट्र और गुजरात से होते हुए खंभात की खाड़ी अरब सागर में जाकर गिरती है। इस नदी की लम्बाई 1312 किमी. है। बरनार,बंजर,शेर,शक्कर,दूधी,तवा,गंजाल,छोटी तवा,कुन्दी देव, इस नदी की सहायक नदी है जो बाएं से इसमे मिलती है।

हिरन,तिन्दोली,बरना,चन्द्रकेशर,कानर,मान,ऊटी,हथनी नदी दाये से इस नदी से मिलती है।

चम्बल नदी-

इस नदी का उदग्म स्थल इंदौर में स्थित जनापाव पहाड़ी से होता है। यह इटावा में यमुना से मिलकर यमुना नदी की प्रमुख सहायक नदी बन जाती है। यह मध्य प्रदेश की दूसरी सबसे बड़ी नदी है।

इस नदी पर प्रमुख जलपरियोजनाएं गांधी सागर बांध,राणा प्रताप सागर बांध,जवाहर सागर बांध स्थित है

नोट- चुलिया जलप्रपात इसी नदी पर स्थित है।

सोन नदी-

इस नदी का उदगम स्थान अमरकंटक पर्वत है। यह मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और बिहार में बहती है। सोन नदी पटना के समीप गंगा नदी में मिल जाती है। सोन नदी मात्र एक नदी है जो गंगा नदी में दक्षिण से आकर मिलती है । इस नदी कुल लम्बाई 780 किमी है। इस नदी की प्रमुख सहायक नदी जोहिला, बनास, गोपद और रिहंद है। मध्य प्रदेश के शहडोल जिले में स्थित बाण सागर परियोजन मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और बिहार की सयुंक्त परियोजना है।

ताप्ती नदी-

इस नदी का उदगम स्थान बैतुल जिले के मुल्ताई नामक स्थान से है। इन नदी कुल लम्बाई 724 किमी है। यह नदी मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और गुजरात में प्रवाहित होती है। अंत में जाकर सूरत के निकट खंभात की खाड़ी में गिर जाती है। इस नदी की सहायक नदी पूर्णा,शिवा और बोरी है। यह नदी डेल्टा का निर्माण न कर ज्वारनदमुख का निर्माण करती है।

अपर ताप्ती और लोअर ताप्ती मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र की सयुक्त परियोजना है।

बेतवा नदी-

इस नदी का उदगम स्थान कुमारागाँव में स्थित विंध्याचल पर्वत श्रेणी होता है। यह मध्य प्रदेश औऱ उत्तर प्रदेश में बहती है। यह हमीर पुर के निकट यमुना नदी में मिल जाती है। प्राचीन समय में इसका नाम वेत्रावती है। इसको मध्य प्रदेश की गंगा कहते है। यह उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश की सीमा का निर्माण करती है।

माताटीला और राजघाट बांध उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश की संयुक्त सिंचाई परियोजना है।

इसके अलावा और भी बहुत सारी नदी है जो मध्य प्रदेश में प्रवाहित होती है।

  • क्षिप्रा नदी
  • सिंध नदी
  • माही नदी
  • तवा नदी
  • काली सिंध नदी
  • वैन गंगा नदी
  • टोंस नदी
  • केन नदी
  • पार्वती नदी
  • पेंच नदी

मध्य प्रदेश के राष्ट्रीय उद्यान National Park in Madhya Pradesh-

राष्ट्रीय उद्यान के मामले मध्य प्रदेश सबसे ऊपर है क्योकि मध्य प्रदेश में कुल 11 राष्ट्रीय उद्यान है। यहां के बाघ व अन्य जीवो को संरक्षित करने के लिए मध्य प्रदेश में 1974 वन्यजीव संरक्षण अधिनियम लागू किया गया था। आइये जानते है मध्य प्रदेश में कौन कौन से राष्ट्रीय उद्यान है।

कान्हा किसली राष्ट्रीय उद्यान-

यह मध्य प्रदेश का सबसे बड़ा राष्ट्रीय उद्यान है। जो मंडला जिले के अंतर्गत आता है। इसका कुल क्षेत्रफल 940 वर्ग किमी है। इसको 1955 में नेशनल पार्क बनाया गया था। यहां पर बाघ, चीतल, बारहसिंगा,भालू,तेदुआ,चिंगार और भी बहुत सारे जानवर पाये जाते है।

पन्ना राष्ट्रीय उद्यान-

यह मध्य प्रदेश के बुन्देलखण्ड क्षेत्र के पन्ना एंव छतरपुर में फैला हुआ है। यह लगभग 543 वर्ग किमी क्षेत्र में फैला हुआ है। इसकी स्थापना 1981 में किया गया था। 1994 में इसमे बाघ परियोजना को भी शामिल किया गया था।

संजय राष्ट्रीय उद्यान

इसको 1981 में स्थापित किया गया था। यह मध्य प्रदेश सीधी जिले में स्थित है। यह मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ दोनो जिले में फैला है इसका कुल क्षेत्रफल लगभग 467 किमी है।

सतपुड़ा राष्ट्रीय उद्यान

इसकी स्थापना 1983 में किया गया था। यह मध्य प्रदेश के हौशंगाबाद जिले में स्थित है। इसका कुल क्षेत्रफल 525 वर्गकिमी है। इस पार्क मे कृष्म मृगो की संख्या अधिक है।

माधव राष्ट्रीय उद्यान-

यह मध्य प्रदेश के शिवपुरी जिले में स्थित है इसकी स्थापना 1958 में किया गया था। यह 375 वर्गकिमी के क्षेत्र में फैला हुआ है।

बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान

यह मध्य प्रदेश के उमरी और कटनी जिले में फैला हुआ है। इसका कुल क्षेत्रफल 449 वर्ग किमी में फैला हुआ है। इसकी स्थापना 1968 में किया गया था। इसको 1993 में बाघ परियोजना के तहत टाइगर रिजर्व घोषित कर दिया गया था। इस राष्ट्रीय उद्यान में सफेद शेर पाये जाते है।

वन विहार

यह राजधानी भोपाल में स्थित है इसका कुल क्षेत्रफल लगभग 5 वर्ग किमी है इसकी स्थानपा 1979 में किया गया था।

फासिल जीवाश्म राष्ट्रीय उद्यान-

यह मध्य प्रदेश का सबसे छोटा राष्ट्रीय उद्यान है जो .27 वर्ग किमी के क्षेत्र में फैला है। इसकी स्थापना 1968 में किया गया था। यह मध्य प्रदेश के डिंडोरी जिले में स्थित है।

डायनासौर जीवाश्म राष्ट्रीय उद्यान-

इसकी स्थापना 2010 में किया गया था। जो धार जिले में स्थित है औऱ .897 वर्ग किमी के क्षेत्र में फैला है।

ओंकोरेश्वर राष्ट्रीय उद्यान-

इसकी स्थापना 2004 में किया गया था जो खंडवा जिले में स्थित है इसका क्षेत्रफल 293.5 वर्ग किलोमीटर में फैला है।

पेंच राष्ट्रीय उद्यान-

यह 293 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैला है इसकी स्थापना 1975 में किया गया था। इस पार्क को 1983 में राष्ट्रीय उद्यान के रुप में घोषित किया गया था।  इसको प्रोजेक्ट टाइगर में शामिल किया गया है। मोगली लैंड यही पर बना है। यह हर साल अक्टूबर से जून तक पर्यटक के लिए खुला है।

मध्य प्रदेश के उद्योग Industies Of Madhya pradesh-

मध्य प्रदेश में बहुत सारे उद्योग है जो मध्य प्रदेश में रहने वाले लोगो के जीवकोपार्जन का काम करते है । ये उद्योग मध्य प्रदेश के साथ साथ पूरे देश में अपने प्रोडेक्ट को भेजते है आइये जानते है मध्य प्रदेश के कुछ प्रमुख उद्योग के बारे में-

सीमेन्ट उद्योग-

प्रदेश में चूना पथ्थर प्रचूर मात्रा में पाया जाता है। इसलिए यहां पर सीमेन्ट के कई कारखाने है।

  • बानमोर फैक्ट्री
  • कैमूर फैक्ट्री
  • सतना सीमेन्ट वर्क्स
  • मैहर फैक्ट्री
  • नीमच फैक्ट्री

मध्य प्रदेश में कृषि पर आधारित उद्योग Industies base on agriculturre-

चीनी उद्योग-चीनी उद्योग-

प्रदेश में गन्ना को नगदी फसल की रुप में जाना जाता है जिससे यहां पर कई चीनी कारखाने है जैसे-

  • भोपाल शूगर मिल
  • डबरा शूगर मिल लिमिटेड
  • जीवाजी राव शुगर कंपनी लिमिटेड
  • दालौदा मंदसौर
  • सेठ गोविन्द राम शुगर मिल महिदपुर रोड उज्जैन
  • जौवरा जिला रतलाम
  • मालवा एस एस. के. लिमेटेड उज्जैन
  • करेली शुगर मिल केरली
  • शक्ति शुगर मिल कोडिया
  • मंडल सहकारी शक्कर कारखाना मोरेना

सूती कपड़ा उद्योग-

यह प्रदेश का सबसे बड़ा उद्योग है प्रदेश का पहला सूती वस्त्र कपड़ा मिल बुरहानपुर में 1906 में स्थापित किया गया था। इस समय 513 सूती के कारखाने प्रदेश में काम कर रहे है। इंदौर इस राज्य का सबस बड़ा उत्पादक है। पूरे देश में सूती कपड़ा के उत्पादन में महाराष्ट्र और गुजरात के मध्य प्रदेश का स्थान आता है।

सोयाबिन तेल-

मध्य प्रदेश सोयाबिन के उत्पादन में अग्रणी है । इसलिए इसे सोया प्रदेश कहा जाता है। राज्य में सोया से तेल निकालने के लिए साल्वेन्ट एक्स्ट्रेक्ट प्लांट लगाए गए है। इसके अलावा उज्जैन तथा बरवाह में भी एक एक कारखाना खोला गया है।

घी उद्योग-

प्रदेश में घी के उत्पादन के लिए कई कारखाने लगाये गये है जबलपुर ग्वालियर, खंडवा, गंजबासौदा आदि।

कृत्रिम रेशे के कपड़े का उद्योग-

कृत्रिम रेशे से कपड़े बनाने के कारखाने मध्य प्रदेश के कई जिलो में है- देवास, उज्जैन, ग्वालियर,इंदौर, नागदा आदि।

मध्य प्रदेश हथकरघा उद्योग-

प्रदेश में चंदेली और माहेश्वरी पारंपरिक हस्तशिल्प और हथकरघे के लिए प्रसिद्ध है। चंदली की साड़ी विश्व विख्यात है।

मध्य प्रदेश पावरलूम उद्योग-

प्रदेश के पावरलूम के विकास के लिए बहुत सारे कार्यक्रम चलाये जा रहे है। इसके लिए सरकार द्वारा ऋण की सुविधा भी प्रदान किया जा रहा है।

मध्य प्रदेश का कुटीर उद्योग-

इस राज्य की जनता का एक बड़ा भाग कुटीर उद्योग द्वारा जीवको पार्जन कर रहा है। ये अपना जीवको पार्जन बीड़ी, सीगार, तम्बाकू,का निर्माण करके कर रहे है।

इसके अलावा और बहुत से काम है जिसके द्वारा यहां के लोग अपना जीवीकोपार्जन का काम करते है। जैसे-

  • जूट , बटुआ,व सिल्क का काम होता है।
  • हीरा तराशने का काम होता है
  • शीशे मोती लाख के जेवरात बनाये जाते है।
  • खजूर के पत्तो के सामान बनाये जाते है।
  • कपड़ो की छपाई होती है।
  • टायर ट्यूब और रबर से वस्तुए बनाने का काम होता है।
  • मधुमक्खी पालन का काम होता है।
  • खिलौने ,फर्नीटर और कागज का काम होता है।
  • मध्य प्रदेश का लोक नृत्य-
  • देश के अन्य हिस्सो की तरह यहां भी लोग देवी देवताओ और अपने मनोरंजन के लिए विभिन्न प्रकार के नृत्य करते है।
  • बरेदी नृत्य
  • गोचो नृत्य
  • कर्मा नृत्य
  • कानड़ा नृत्य
  • सैला नृत्य
  • रावला नृत्य
  • दादर नृत्य
  • रीना नृत्य
  • डांडरियां नृत्य
  • अहिराई नृत्य
  • बड़ी नृत्य
  • रे नृत्य
  • नौराता नृत्य
  • गणगौर नृत्य
  • बधाई नृत्य
  • मटकी नृत्य

मध्य प्रदेश की जनजातियां Tribes of Madhya Pradesh-

प्रदेश में लगभग 47 जनजातिया निवास करती है। सबसे अधिक जनजातियो की संख्या मध्य प्रदेश की झाबुआ जिले में निवास करती है जो कुल जनसंख्या का 86 प्रतिशत है।

जिसमें से कुछ प्रमुख हैं।

  • गोंड जनजाति
  • भील जनजाति
  • बैगा जनजाति
  • कोरकू जनजाति
  • सहरिया जनजाति
  • अगरिया जनजाति
  • कोल जनजाति
  • पारधी जनजाति
  • बंजारा जनजाति
  • पनका या पनिका जनजाति

मध्य प्रदेश के चर्चित व्यक्ति Famous Person-

मध्य प्रदेश के इतिहास के प्रमुख व्यक्ति जो मध्य प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रो में अपना नाम रोशन किये

बंशी कोल

इन्होने अंतर्राष्ट्रीय अभिनेता,निर्देशक, एवं लेखक के रुप में ख्याती प्राप्त की। इनको बहुत सारे राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त हुए। इनका जन्म 23 अगस्त 1949 को हुआ था।

बिरजू महाराज-

कथम सम्राज बिरजू महाराज का जन्म 4 फरवरी 1938 में वाराणसी में हुआ था। इन्होने देश और विदेश में अनेक कार्यक्रम प्रस्तुत किये थे। इनको कालीदास पुरस्कार , संगम कला पुरस्कार से सम्मानित किया गया है।

अली अकबर खाँ-

इनका जन्म 14 अप्रैल 1822 को हुआ था। यह भारत के सर्वश्रेष्ठ सरोदवादको में से एक थे।

तानसेन-

इनको हम रामतनु पाण्डे के नाम से जानते है। इनका जन्म 1506 ईं में ग्वालियर में हुआ था। सबसे पहले इनको राजा रामचन्द्र अपने दरबार में लाये जहां से अकबर इनको अपने दरबार में ले कर आये। अकबर इनको अपने 9 रत्नो में शामिल किया था।

जावेद अख्तर-

हिन्दी सिनेमा के प्रसिद्ध गायक एवं लेखक है इनको 9 बार फिल्म फेयर अवार्ड मिल चुका है और कई बार राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया गया है।

अमजद अली खान-

अमजद अली खान अंतर्राष्ट्रीय ख्याती प्राप्त सरोद वादक है। जब इनकी उम्र 12 साल की थी तभी यह एकल प्रस्तुती देकर प्रशंसा प्राप्त की थी। इनको पद्यश्री, पद्यभूषण पुरस्कार के साथ अनेक राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त किये थे।

राजेश्वरी ढोलकिया-

यह अंतर्राष्ट्रीय महिला क्रिकटर है। जो 1975 में महिला क्रिकेट टीम में प्रवेश की थी।

मधु यादव-

यह अंतर्राष्ट्रीय महिला हाकी टीम का 1979 से 1981 तक टीम का प्रतिनिधित्व किया।

अमीर खाँ-

इनको भारत सरकार द्वारा पद्यभूषण अवार्ड से सम्मानित किया गया है।

श्री रवि शंकर-

म. प्र. के प्रथम मुख्यमंत्री श्री रवि शंकर जी का जन्म 2 अगस्त 1877 को सागर में हुआ था।

प्रकाश चन्द्र सेठी-

इनका जन्म 19 अक्टूबर 1920 को झालरापाटन में हुआ था । ये मध्य प्रदेश के मुख्य रुप में आसीन हुए थे इसके अलावा यह केन्द्र सरकार में विभिन्न पदो पर मंत्री रहें।

गोविन्द नरायण सिंह-

यह मध्य प्रदेश के 1967 में मुख्य मंत्री रहे इसके अलावा यह बिहार के राज्य पाल भी रहें।

द्वारिका प्रसाद मिश्र-

इनका जन्म 5 अगस्त 1901 को हुआ था। इन्होने सविनय अवज्ञा आन्दोलन में शामिल होकर राजनीतिक कैरियर की शुरुआत किया था। यह मध्य प्रदेश के 1963 से 1967 तक मुख्यमंत्री रहे।

अटल बिहारी वाजपेयी-

देश के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का जन्म म.प्र. के ग्वालियर में 25 दिसम्बर 1926 को हुआ था। इन्होने भारत छोड़ो आंन्दोलन से राजनीतिक कैरियर में प्रवेश किया। ये देश के तीन बार प्रधानमंत्री रहे। इनके द्वारा लिखी गयी पुस्तके मेरी इक्यावन कविताएँ, जनसंघ और मुसलमान, मेरी संसद यात्रा आदि।

रानी लक्ष्मी बाई-

1857 के स्वतंत्रता संग्राम में झांसी की रानी ने अंग्रेजो के खिलाफ ग्वालियर की महत्वपूर्ण और अंतिम लड़ाई थी।

चंद्र शेखर आजाद-

झाबुआ में जन्मे चंद्र शेखर आजाद ब्रिटिश सरकार के खिलाफ क्रांतिकारी गतिविधियो के प्रतीक थे।

लता मंगेशकर-

इनका जन्म 28 सितम्बर 1929 को इंदौर में हुआ था । इनको सुर की देवी कहा जाता है। लता मंगेशकर का देहान्त 6 फरवरी 2022 को हुआ था।

अर्जुन सिंह-

इनका जन्म 5 नवम्बर 1930 को चुरहट जिले में हुआ था। 1980 में मध्य प्रदेश के मुख्य मंत्री भी रहे। इसके अलावा यह केन्द्रीय स्तर पर कई बार मंत्री रहे।

उमा भारतीय-

इनका जन्म 3 मई 1959 टीकमगढ़ के डुण्डा में हुआ था। 8 दिसम्बर 2003 म. प्र. की प्रथम महिला मुख्य मंत्री बनने का गौरव प्राप्त किया । इनके द्वारा लिखी गयी पुस्तक स्वामी विवेकानंद , पीस ऑफ माइन्ड और मानव एक भक्ति का नाता ।

डॉ. शंकर दयाल शर्मा-

इनका जन्म 19 अगस्त 1918 को हुआ था। 1956 मध्य प्रदेश के गठन के बाद यह मध्य प्रदेश के मंत्रीमंडल में ये मंत्री रहे। ये काग्रेश के अध्यक्ष भी रहे। 1992 से 1997 तक यह भारत के राष्ट्रपति भी रहे।

विजयाराजे सिन्धिया-

राजमाता विजयाराजे सिन्धिया का जन्म 12 अक्टूबर 1919 को सागर जिले में ठाकुर महेन्द्र के यहां हुआ था। यह प्रथम बार 1957 में गुना से लोक सभी के लिए चुनी गयी।

विविध-

मध्य प्रदेश का सबसे बड़ा पुरस्कार विक्रम पुरस्कार है जो खेल के क्षेत्र में दिया जाता है।

मध्य प्रदेश में 47 जनजातियां निवास करती है।

देश का पहला आदिवासी संचार केन्द्र झाबुआ में स्थित है।

मध्य प्रदेश में 1964 में आदिम जाति कल्याण विभाग को स्थापित किया गया था। जिसका नाम 1965 में बदलकर आदिवासी एंव हरिजन कल्याण विभाग कर दिया गया था।

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