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विश्व के पहले सुपर बेबी(Super Baby) का जन्म हुआ जिसे कोई भी आनुवांशिक बिमारी नही होगी

सुपर बेबी Super Baby

आज के समय में हर व्यक्ति ऐसे बच्चे की इच्छा करता है की उसका बच्चा किसी भी जेनेटिक बिमारी से पीड़ित न हो क्योकी हर माता पिता इस बात से चितिंत होते है कहीं ऐसा न हो की मेरे बच्चो को मेरी बिमारी लग जाये। क्योकी अभी तक यह देखा जाता है कि जब कोई बच्चो पैदा होता है तो उस बच्चे के साथ साथ उसके माता पिताके गुण और उनकी बिमारी भी उनको मिल जाती है जो आगे चल कर बच्चो को भी संक्रमित करती है इसमे से बहुत सारी ऐसी आनुवांशिक बिमारी (हीमोफिलिया, थैलेसीमिया,डायबिटीज,डाउन सिंड्रोम,पार्किंसंस रोग) होती है जिसका इलाज सम्भव नही है। लेकिन अब ऐसा नही है क्योकि दुनिया में पहली बार ऐसे बच्चे का जन्म हुआ है जो किसी भी जेनेटिक बिमारी से पीड़ित नही होगा। इस बच्चे को Super Baby नाम दिया गया है।  आइये इस सुपर किड्स के बारे में जानते है।

विश्व का पहला सुपरकिड्स World’s first Superkids-

विश्व का पहला सुपरकिड्स इग्लैंड में पैदा हो गया है जिसमे उसके माता पिता के अलावा तीसरे व्यक्ति का भी डीएनए जोड़ा गया है। इस प्रकार के डीएनए में आईवीएफ तकनीक का इस्तेमाल किया गया है। ऐसा दावा किया जा रहा है इस प्रकार के तकनीक से पैदा हुआ बच्चा किसी प्रकार के जेनेटिक बिमारी से पीड़ित नही होगा।

बच्चे का जन्म Child birth-

जिस तकनीक से इस बच्चे का जन्म हुआ है उस तकनीक में बच्चे को पैदा करने के लिए एक स्वस्थ्य महिला के अंडे से ऊतक लेकर आईवीएफ भ्रूण तैयार किया गया हैं। इस भ्रूण को जिस गर्भ में तैयार में तैयार हुआ है वह महिला को जो जेनेटिक बिमारी है उससे सुरक्षित है या कह सकते है वह बच्चा महिला को जो बिमारी है उससे सुरक्षित है।

बच्चे का डीएनए Baby DNA-

वैज्ञानिको द्वारा तैयार किया गया यह बच्चा तीन लोगो के डीएनए का मालिका होगा। क्योकि इस प्रक्रिया में माता-पिता के डीएनए(99.8 प्रतिशत) साथ एक अन्य महिला के डीएनए(.1 प्रतिशत) का उपयोग किया गया है।

इस तकनीक में खतरा Danger in this Technique-

इस तकनीक का जब प्रयोग किया जाता है तो बहुत ही ध्यान दिया जाता है क्योकि यदि एग के अंदर अनचाहे माइट्रोकॉन्ड्रिया आ गये तो बच्चे के सेहत पर असर डालेगें और बच्चा कमजोर पैदा होगा या अविकसित पैदा होगा।

MDT तकनीक के लिए कानून Laws for MDT Techniques-

इस तकनीक से बच्चा पैदा करने के लिए इंग्लैड में 2015 में कानून में बदलाव किया गया था। तब जा के 2 साल बाद न्यूकैसल क्लीनिक इंग्लैड का पहला ऐसा सेंटर बना जिसके पास इस तकनीक को इस्तेमाल करने का लाइसेंस था। इसके बाद इसने ह्युमन फर्टिलाइजेशन एंड एंब्रियोलॉजी अथॉरिटी से अप्रूवल लेकर इस काम को आगे बढ़ाया। इस तकनीक से जिस बच्चे का जन्म होता है उसके माता पिता के जानकारी को गोपनीय रखा जाता है।

Source- आज तक अमर उजाला

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