मधुबनी तथा मंजूषा पेटिंग दोनो पूरे विश्व में प्रसिद्ध है अपनी कलाकारी के लिए आइये जानने की कोशिश करते है इन पेटिंग के बारे में
दोनो ही पेटिंग बिहार राज्य की है
मधुबनी पेटिंग-
मधुबनी की पेंटिग दुनिया भर में प्रसिद्ध है क्योकि इनके पेंटिग में प्रकृति में उपस्थित चीजो को पेटिंग के रुप में दिखाया जाता है।
पेटिंग के रुप में यह मछली, पक्षियां, जानवर, कछुए, बांस, फूल और पेड़ की आकृति और भी बहुत सारे ये अपनी पेंटिग में बनाते है। इनकी पेंटिग में अति दर्शनीय वाला पेटिंग है तो मछली की आंख और मुह वाली पेटिंग ।
मधुबनी पेटिंग का इतिहास- शुरु में यह पेटिंग बिहार के दरभंगा, पूर्णिया, सहरसा,मुजफ्फपुर औऱ अगल बगल के शहर में रंगोली के रुप में प्रसिद्ध था। समय के अनुसार यह दीवारो पर तथा कागजो पर आने लगा और आधुनिक युग में यह कपड़ो पर आगया।
शुरु में इस कला मधुबनी कला पर केवल औरते काम करती है लेकिन अब पुरुष भी इस कला पर काम करते है
मधुबनी पेटिंग दो तरह की होती है
1-भित्ती चित्र
2- अरिपन या अल्पना चित्र
मधुबनी भित्ति चित्र में मिट्टी (चिकनी) व गाय के गोबर के मिश्रण में बबूल की गोंद मिलाकर दीवारों पर लिपाई की जाती है। गाय के गोबर में एक खास तरह का रसायन पदार्थ होने के कारण दीवार पर विशेष चमक आ जाती है। इसे घर की तीन खास जगहों पर ही बनाने की परंपरा है, जैसे- पूजास्थान, कोहबर कक्ष (विवाहितों के कमरे में) और शादी या किसी खास उत्सव पर घर की बाहरी दीवारों पर।
अरिपन चित्र उस जगह बनाया जाता है जहा पर बैंठक होता है अथवा दरवाजे के बाहर बनाया जाता है इस घर के शुभ कामो में बनाया जाता है इसे बनाने के लिए बांस की कलम तथा माचिस की तीलि का प्रयोग किया जाता है ।
मंजूषा कला – यह कला रेखाचित्र पर आधारित चित्रकला है इसमें मुख्यत: तीन रंगो का प्रयोग किया जाता है गुलाबी हरा औप पीला इस कला में मुख्यत: बार्डर का ध्यान रखा जाता है
इस काल के अन्तर्गत मुख्य रुप से सांप, चंपा फूल, सूर्य, हाथी, घोड़ा, मोर,मैना, कछुआ, मछली, पेड़, कलश, तीर धनुष, शिवलिंग का प्रयोग किया जाता है।
मंजूषा कला के पात्रो को अंग्रेजी के X अक्षर से दर्शाया जाता है।