ब्लैक बाक्स
इस डिवाइस का प्रयोग हवाई जहाज अथवा फ्लाइट में किया जाता है, इस डिवाइस की सहायता से फ्लाइट की हर गतिविधियो को रिकार्ड किया जाता है। जैसे – प्लेन के पाइलट के बीच क्या बातचीत हुई है, प्लेन कितनी ऊचाई पर है, प्लेन में कितना तेल है, प्लेन कितनी देर हवा में रहा, प्लेन में कितना टेम्परेचर है इस तरह की लगभग 88 प्रकार के गतिविधियो को रिकार्ड हम ब्लैक बाक्स में करते है।
आइये हम लोग जानने की कोशिश करते है कि आखिर ब्लैक बाक्स होता क्या है
ब्लैक बाक्स- यह धरती पे मौजूद अभितक की सबसे मजबूत धातु टाइटेनियम का बना होता है
यह धातु लग 11000.C के तापमान को लगभग 1 घंटे तक सहन कर सकता है
260.C ताप को 10 घंटे तक सह सकता है
इसे मजबूत धातु से इसलिए बनाया जाता है ताकि यह ऊचाई से पृथ्वी पर गिरने पर कम से कम नुकसान हो
ब्लैक बाक्स का इतिहास– प्लेन तथा फाइटर प्लेन के आविष्कार के बाद बहुत सारी हवाई दुर्घटना होती थी लेकिन कारण नही पता चल पाता था। इसी कारण का पता करने के लिए 1953-54 ब्लैकबाक्स का आविष्कार हुआ।
शुरु में लाल रंग के कारण इसे रेड एग के नाम से जाना जाता था।
इसकी भीतरी दिवारे काला होने के कारण संभवत: इसे ब्लैक बाक्स कहा जाने लगा।
ब्लैक बाक्स के दो भाग होते है –
1-कॉकपिट वाइस रिकार्डर-
यह अंतिम दो घंटे विमान की आवाज को रिकार्ड करता है ताकि यह पता चल सके कही विमान से आवाज तो नही आ रही थी।
2-फ्लाइट डेटा रिकार्डर –
इसकी सहायता से प्लेन की सभी गतिविधियो को रिकार्ड किया जात है
ब्लैक बाक्स का रंग -ब्लैक बाक्स का रंग नारंगी होता है। ऐसा इसलिए होता है ताकि पानी या अंधेरे में इसे आसानी से खोजा जा सके।
ब्लैक बाक्स का फ्लाइट में स्थान —
ब्लैक बाक्स को फ्लाइट में अधिकत्तर पीछे की तरफ रखा जाता है ताकी कोई हादसा हो तो ब्लैकबाक्स को क्षति कम हो