आँख(Eye)-
हमारे शरीर का सबसे महत्वपूर्म अंग आँख( Eye) है क्योकि इसकी सहायता से हम अपने आसपास की वस्तुओ देखने में मदद मिलती
वैज्ञानिको के अनुसार हमारी जो आँख है वह पारदर्शी जीवित पदार्थो से बने एक प्राकृतिक उत्तल लेंस के माध्यम से प्रकाश के अपवर्तन पर काम करती है जिससे हमारे आस पास की वस्तुओ दिखाई देती है। आँख द्वारा वस्तु को देखने में शरीर के और भी पार्ट सहायता करते है आइये इन पार्ट के बारे में जानते है।
कार्निया-
कार्निया आँख का सबसे बाहरी हिस्सा है जिसपर बाहर का प्रकाश पड़ता है इसके अलावा यह आँख का दो तिहाई हिस्सा है। इसमे कोई रक्त वाहिका नही होती है बल्कि इसमे तंत्रिकाओं का जाल होता है। इसको पोषण देने वाले द्रव्य वही होते हैं, जो आंसू और आंख के अन्य पारदर्शी द्रव का निर्माण करते हैं।
इसका काम होता है प्रकाश को आँख की पुतली तक आने देता है। इस तरह यह विजन का काम करता है। कार्निया का गुंबदाकार यह निर्धारित करता है कि किसी व्यक्ति के आँख में दूरदृष्टि दोष है या निकट दृष्टिदोष है।
कार्निया आँख का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा है क्योकि लोगो द्वारा इसी भाग का दान किया जाता है ताकि दूसरे लोग बाहर की दुनिया देख सके।
नोट- कभी कभी कार्निया सिकुड़ या असमान्य हो जाती है तो इस स्थित को दृष्टि वैषम्य कहा जाता है। इस समय व्यक्ति को धुधला दिखाई देता है।
पलके (Eye lids)-
यह आँख के उपर और नीचे दो हिस्से में बटी होती है जो आँख की सुरक्षा करते है इन पर किसी भी व्यक्ति की का कंट्रोल नही होता है यह ऐच्छिक या अनैच्छिक दोनो प्रकार की क्रिया करती है।
नोट- किचड़(तेल जैसा चिपचिपा पदार्थ )मेबोमियन ग्रंथियों से होकर आता है इस ग्रंथि का नाम जर्मन डॉ. हेनरिक मीबोम के नाम पर रखा गया है।
ऊपरी पलक में लगभग 25 से 40 मेबोमियन ग्रन्थियाँ और निचली पलक में 20 से 30 ग्रन्थियाँ होती हैं।
बरौनी( Eye Lashes)-
इनका काम होता है पलक औऱ आँख की सुरक्षा करना।
भौह्वें( Eye brow)-
मस्तक के ठीक नीचे औऱ आँख के ठीक उपर बालो की जो पंक्ति होती है उसे भौह्वें कहते है।
नेत्र श्लेष्म( Conjunctiva)-
कार्निया के बगल में जो सफेद परत जो झिल्ली नुमा होती है इसी को नेत्र श्लेष्म कहा जाता है। इसमे धुल मिट्टी के कारण इसका रंग लाल या गुलाबी हो जाता है जिसको Conjunctivitis कहते है।
पुतली-
इसका काम होता है आँख में प्रवेश करने वाली प्रकाश को नियन्त्रि करना ताकी आँख की रेटिना को सही मात्रा में प्रकाश मिल सके ।
रेटिना-
आँख का जो पिछला हिस्सा होता है जिसे आँख का पर्दा अथवा रेटिना कहते है इसमे दो तरह के सेल होते है
1-छड़ सेल (Rod cell)
यह सेल हमे प्रकाश की तीव्रता को बताता है यह सेल मंद प्रकाश में वस्तु को पहचानने में मदद करता है।
प्रकाश से सम्बन्धित बहुविकल्पीय प्रश्न और उत्तर
2- शंकु सेल (Cone cell)
जब प्रकाश तेज होता है तो रंगो के अंतर को बताता है।
ये दोनो सेल एक साथ नही काम करते है।
परिनालिका(Iris)-
पुतली के बाहर वाले हिस्से को आइरिस कहा जाता है । आँखो का रंग कैसा होगा इसका पता आइरिस से चलता है
आंसू-
यह एक तरल पदार्थ होता है जे लैक्रिमल ग्रंथि से निकलता है इसका काम होता है। आँखो को शुष्क होने से बचाना।
लेंस-
इस काम होता है जो प्रकाश पुलती के रास्ते इस पर पड़ता है उसको रेटिना पर फोकश करना। इसका आकार उभयोत्तल होता है।
लेंस पर एक सफेद परत जम जाती है जिसकी वजह से वस्तु धुधला दिखाई पड़ने लगता है। इसी को मोतियाविंद का नाम दिया गया है।
सिलिअरी पेशी-
आंख का एक क्षेत्र है जो लोगो को ध्यान केंद्रित करने में मदद करता है इसकी सहायता से आँख के लेंस को चपटा या गोल किया जाता है जिससे लोग दूर और नजदीक की वस्तु साफ देख सके। मानव नेत्र लेंस इसी पेशी पर टिका होता है।
विविध-
- आँखो के अध्ययन को ऑपथैल्मोलॉजी कहा जाता है।
- जब आँखो की कोशिकाए पुरी तरह से खराब हो जाती है तो इसे Glaucoma (इसे काला मोतियाबिन्द कहते है।)
- Presbyopia- जब किसी व्यक्ति को दूर और नजदीक दोनो नही दिखता है तो उसे presbyopia नाम की बिमारी हो जाती है। ऐसे व्यक्ति किसी भी वस्तु को देखने के लिए बाई फोकल लेन्स का प्रयोग करते है
- लैक्रिमल ग्रंथि जो होता है आँसू पैदा करता है।
- प्याज में एक रसायन होता है जिसका नाम साइन-प्रोपेंथियल-एस-ऑक्साइड है यह आँख के अंदर एक लेक्रामल ग्लैंड होता उसको उत्तेजित कर देता है जिससे आसू निकलने लगते है।
- जिरोपथेलमिया ऐसी बिमारी है जिसमे आँखो के आंसू सूख जाते है।
- सामान्य मनुष्य के लिए स्पष्ट न्युनतम दूरी 25सेमी(250MM) होती है।
- मनुष्य की आँखो का दृष्टि का स्थायित्व 1/16 सेकेण्ड होता है।
- आइरिस प्रकाश के हिसाब से निर्धारित करता है पुतली का आकार कैसा होगा। प्रकाश जब अधिक होता है तो पुतली का आकार छोटा होता है जब प्रकाश कम होता है पुतली का आकार बड़ा हो जाता है।
- मनुष्य के आँख में उत्तल (Convex lens)लेन्स पाया जाता है
- मनुष्य की आँख 150 डिग्री तक देख सकती है।
- कार्निया मानव शरीर का वह उत्तक है जिसमें रक्त नही पाया जाता है।
- मायोपिया या निकटदृष्टि दोष में मनुष्य को दूर की वस्तु स्पष्ट नही दिखती है। इसमे रेटिना से पहले इमेज बन जाता है।
- कार्निया और आईरिस के बीच में जलीय द्रव्य पाया जाता है। जिसका काम होता है आंसू बनाना।
- हाइपरमेट्रोपिया बिमारी में मनुष्य को पास की वस्तु स्पष्ट नही दिखती है। इस बिमारी से पीड़ित व्यक्ति के आँख में जो इमेज बनता है वह रेटिना के पीछे बनता है।
- प्रेसबायोपिया में मनुष्य को पास और दूर दोनो की वस्तु नही दिखाई पड़ती है। इसको दूर करने के लिए बाई फोकल लेन्स का प्रयोग करते है।
- मनुष्य के आंसू में सियालिक अम्ल(C11 H19NO9) पाया जाता है
- मनुष्य की आँख तीन परतो से मिलकर बनी होती है सबसे बाहरी भाग श्वेत पटल, क्रोरोइड,रेटिना।
- ट्रेकोमा बिमारी आँख को प्रभावित करता है।
- उल्लू में कोन सेल नही पाया जाता है।
- टेपिटम ल्युसीडम की वजह से जानवर आँख रात में चमकती है।