BulletProof Jacket
देश के दुश्मनो से और देश के गद्दारो से देश के सिपाही अपने को बचाने के लिए अपने शरीर पर जिस कवच को पहने है उसे हम बुलेटप्रुफ कहते है। Bulletproof jacket का मतलब होता जो सैनिक या सिपाही, नेता,या जिसको जान का खतरा रहता है इसे पहनता है उसे यदि कोई गोली भी लग जाती है तो भी कोई असर न हो । इसे सैनिक तब पहनते है जब वह युद्ध करने जाते है या किसी आतंकवादी को पकड़ना होता है या देश के अन्दर कोई दंगा हो रहा हो तो पहनता है ताकी सैनिक अपने आप को सेफ रख सके। नेता घर से जब बाहर निकता है किसी को सम्बोधन करने के लिए तब पहनता है ।
आइये जानते इसके बारे में-
एक समय था लोग अपनी सुरक्षा के लिए जानवरो के खाल का इस्तेमाल करते थे लेकिन जैसे जैसे युद्ध के हथियार में परिर्वतन किया वैसे वैसे अपनी सुरक्षा कवच में भी परिवर्तन किया। मनुष्य अपनी सुरक्षा में जानवरो के खाल से लेकर लकड़ी तथा लोहे का भी इस्तेमाल किया है। पहले के युद्ध जब तलवार और भाले से लड़ा जाता था उस समय लोग अपनी सुरक्षा में जिरह बख्तर का प्रयोग करते थे जो जंजीरो का बना होता था।
बुलेट प्रुफ जैकट का उदय-
Bullet proof jacket का आइडिया 15वीं सदी में आया। उस समय इटली में धातुओं की कई परत का इस्तेमाल कर एक कवच बनाया गया। इस कवच पर जब गोली चलाया जाता था तो गोली कवच को पार नही कर सकती थी बल्की अपना रास्ता बदल देती थी लेकिन ये कवच आग्नेयास्त्रों के लिए प्रभावी नहीं थे। इसके बाद विभिन्न प्रकार के कवच बनाये गये आइये जानते है इनके बारे में
सिल्क से बना कवच-
18वीं सदी में जापान में सिल्क से कवच बनाया गया। वे कवच असरदार तो थे लेकिन महंगे थे।
1901 जब अमेरिका के राष्ट्रपति की हत्या कर दी गई। अमेरिका सेना द्वारा इंसान के शरीर की रक्षा के लिए मुलायम कवच की जरुरत महसूस की उस समय सिल्क से बने कवच की सामने आया। यह सिल्क से बने कवच कम वेग से आ रहे गोलीयो के लिए असरदार थे लेकिन जब कोई गोली तेजी से आ रही हो तब यह कवच गोली को रोक नही पा रहे थे।
फ्लैक जैकेट-
इस जैकेट का आविष्कार दूसरे विश्व युद्ध के दौरान हुआ था। इस जैकेट को बनाने में बैलिस्टिक नाइलॉन फाइबर का इस्तेमाल किया जाता था। यह जैकेट गोला बारुद से बचाने में सक्षम थी। इस तरह की जैकेट काफी भारी होती थी इसे लम्बे समय तक पहन नही सकते थे।
क्या आप एएससीआई के बारे में जानते है
केवलर फाइबर-
केवलर -1960 में केवलर नाम का एक नये फाइबर की खोज गया था। एक पैरा-अरैमिड सिंथेटिक फाइबर होता है। केवलर के निर्माण के लिए तरल रासायनिक मिश्रण से ठोस धागा कताई द्वारा उत्पादित किया जाता है। .बता दे कि केवलर एक कॉमन मटेरियल है जिससे बने जैकेट को केवलर जैकेट कहा जाता है। इस मटेरियल का उपयोग हेल्मेट बनाने के लिए भी किया जाता है।
बुलेट प्रुफ जैकेट तैयार कैसे की जाती है-
Bulletproof jacket को बनाने में दो परत का इस्तेमाल किया जाता है। सबसे पहले सेरैमिक पर्त होती है । उसके बाद बैलिस्टिक पर्त लगाई जाती है। इन दोनो परतों को मिलाकर जैकेट तैयार की जाती है। इस प्रक्रिया में फाइबर या फिलामेंट को बड़ी रील का प्रयोग किया जाता है। इसके बाद इस रील और पालीथीन बैस की सहायता से मजबूत चादर का निर्माण किया जाता है। जब बैलिस्टिक शीट का निर्माण हो जाता है तो उसके ऊप 130-200 मीटर की लंबाई में रोल किया जाता है। जो किसी अन्य वस्त्र की दिखता है।
बुलेट प्रुफ जैकेट काम कैसे करती है-
जैसा की हम लोग जानते है बुलेटप्रूफ जैकेट में दो परत होते है पहली परत सेरैमिक दूसरी बैलिस्टिक पर्त। जब गोली सेरैमिक परत से टकराती है तो उसकी नुकीला भाग टूट जाता है। जिससे गोली का पावर कम हो जाता है टूटी गोली जैकेट में फैल जाती है। लेकिन गोली से निकली सभी ऊर्जा को जैकेट की दूसरी पर बैलिस्टिक इसको शोक लेती है। इससे जो व्यक्ति यह जैकेट पहने रहता है। उसको कम क्षति होती है।