राउटर Router
आज के समय में हर व्यक्ति विभिन्न माध्यम (मोबाइल,लैपटाप, डेस्कटाप,टेबलेट) से इंटरनेट का प्रयोग कर रहा है। जब व्यक्ति किसी भी डिवाइस से किसी मेसेज को भेजता है जैसे (www.google.com ) तो यह मेसेज डायरेक्ट गुगुल के सर्वर पर नही जाता है यह मेसेज पैकेट में बदल कर राउटर के पास जाता है राउटर उसे मेसेज के ऐड्रेस को चेक कर सही लोकेशन पर मतलब गुगुल के सर्वर पर भेजता है जिससे गुगल की साइट खुलती है । राउटर को हम कह सकते है कि राउटर इंटरफेस का काम करता है एक डिवाइस को दूसरे डिवाइस से कनेक्ट करने के लिए। इसलिए इसको बहुत सारे लोग इसको इंटेलीजेन्स डिवाइस भी कहते। इसको हम इस तरह भी समझ सकते है आज के समय में लगभग सभी लोग डिजिटल डिवाइस का प्रयोग कर रहे है यदि आप डिजिटल डिवाइस प्रयोग करते है तो HotSpot के बारे में जरुर जानते होगें जिस प्रकार यह हॉटस्पाट काम करता है उसी प्रकार राउटर भी काम करता है।
कम्प्युटर के इस भाग में राउटर के बारे में जानेगें।
राउटर क्या है What is Router-
राउटर एक प्रकार का हार्डवेयर नेटवर्क डिवाइस है जो वायर या वायरलेस के माध्यम से एक डिजिटल डिवाइस को दूसरे डिजिटल डिवाइस से कनेक्ट करने का काम करता है।
राउटर का इतिहास-
आज के समय जो राउटर करता है उसका विचार पहली बार 1966 में डोनाल्ड डेविस द्वारा NPL Network के लिए आया था। इसी प्रकार की सोच वेसले कलार्क ने आरपनेट के लिए किया था जिसको इन्होने Interface Message Processors कहा था। जिसको हम इस समय राउटर के नाम से जानते है उसे पहले गेटवे कहा जाता था इस गेटवे का बिचार International Networking Working group (INWG) जो एक रिसर्च संस्था को आया था।
1970 से 1980 के बीच मिनी कम्प्युटर को राउटर के रुप में इस्तेमाल किया गया था। इसके बाद पहला राउटर 1974 में डेवलप किया गया था। 1976 तक PDP-11 आधारित राउटर इंटरनेट का एक प्रोटोटाइप एक्सपेरिमेंटल वर्जन बनाने के लिए इस्तेमाल किया गया था।
राउटर के पार्ट Part of Router –
जैसा कि हम सभी को पता है एक राउटर इनपुट को प्राप्त करता है, आउटपुट भेजता है और यह भी निर्णय लेता है किस आउटपुट को किस रास्ते भेजना है यह सभी कार्य करने के लिए किसी भी मशीन के पास स्वयं का दिमाग और मेमोरी होना चाहिए आइये जानते है एक राउटर के पास क्या क्या होता है-
CPU-
इसको राउटर का ब्रेन कहते है। जो कम्प्युटर के सीपीयु की भांती ही काम करता है। यह कम्प्युटर या डिजीटल डिवाइस के सिग्नल को प्रासेस करता है।
Flash Memory-
यह एक तरह से हार्डडिस्क होता है। इसमे राउटिंग टेबल,राउटिंग प्रोटोकाल और राउटिंग एलगार्थिंम इंस्टाल होते है।
Non Volatile Memory
यह एक प्रकार का स्टोरेज डिवाइस होता है। इसमे आपरेटिंग सिस्टम इंस्टाल होता है।
RAM-
जब राउटर आन किया जाता है तो आपरेटिंग सिस्टम यही पर लोड होता है। सभी फंक्शन यही पर होते है। RAM के अंदर ARP tables, routing tables, routing metrics और दुसरे data को store किया जाता है. ARP tables, routing tables, routing metrics इनकी मदद से Packet Forwarding Process Speed होती है.
Console-
राउटर को मेनेज करने का काम कंसोल करता है। जैसे- configuration troubleshooting commands console से दिये जाते है।
Network Interfaces-
राउटर में बहुत सासे ड्राइवर लगे होते है इन ड्राइवरो के बीच सामन्जस बैठाने के लिए नेटवर्क इंटरफेस का प्रयोग किया जाता है।
Type of Router-
यह दो प्रकार का होता है।
माडुलर Modular –
ऐसा राउटर जिनके अंदर हम पोर्ट की संख्या को घटा बढ़ा सकते है उन्हे माडुलर राउटर कहते है।
नान माडुलर Non Modular –
ऐसा राउटर जिनके अंदर हम पोर्ट की संख्या को घटा बढ़ा नही सकते है इस तरह के राउटर को नान माडुलर राउटर कहते है।
राउटर के कार्य Work of Router –
- एक नेटवर्क को दूसरे नेटवर्क से जोड़ने का कार्य करता है।
- यह नेटवर्क के बीच रुट बनाने का काम करता है।
- इसका काम होता Loop free path बनाना
- प्रोटोकाल ट्रान्सलेशन में मदद करता है।
- Destination तक पैंकेट पहुचाने में सही रुट ढूंढने में मदद करता है।
- Use of Routing Table-
- Router में Routing table का काम होता नेटवर्क में प्रोटोकाल किस दिशा में जायेगा इसका निर्णय लेता है।
- जितने भी IP Enabled Device है जैसे Switches and Router राउटिंग टेबल का इस्तेमाल करते है।
राउटर के प्रकार Type of Router-
कार्यो व विशेषताओं के आधार पर राउटर को विभिन्न भागो में बाटा गया है ।
Wired Router-
इस प्रकार के राउटर में ईथरनेट केबल का प्रयोग किया जाता है। जिससे एक कम्प्युटर को दूसरे कम्प्युटर से जोड़ने के लिए किया जाता है।
यदि कोई व्यक्ति फोन से इंटरनेट को जोड़ना चाहता है तो इसके लिए VOIP (Voice Over Internet Protocol) कनेक्शन का प्रयोग करता है।
Wireless Router-
इस प्रकार के राउटर का उपयोग आजकल लगभग हर जगह इस्तेमाल किया जाता है। यह एक सिग्नल एरिया बनाता है जिसके द्वारा कम्प्युटर, मोबाइल,लेबटॉप और टैबलेट आदि को इंटरनेट के द्वारा जोड़ते है। सिक्योरिटी को देखते हुए इसमे पासवर्ड सुविधा होता है।
Core Router-
LAN नेटवर्क के बैकबोन के रुप में जो काम करता है। उसे हम कोर राउटर कहते है। इसका प्रयोग अलग अलग राउटर को जोड़ने के लिए प्रयोग किया जाता है। इसका प्रयोग IP पैकेट को तीव्र गति से आगे भेजने के लिए प्रयोग किया जाता है।
Edge Router-
इस प्रकार के राउटर वायर या वायरलेस दोनो प्रकार का होता है। इनका काम होता है एक या एक से अधिक नेटवर्क के मध्य पैकेट को वितरित करना।
विविध-
- राउटर एक कनेक्टिंग डिवाइस है जो लैन या मैन दोनो को जोड़ने का काम करती है।
- राउटर का काम होता है पाथ का निर्णय लेना की पैकेट को किस रास्ते से भेजना है ताकी पैकेट जल्दी पहुँचें।
- राउटर IP एड्रेस को चेक कर मेसेज को उस सिस्टम के पास भेजता है। यह IP एड्रेस नेटवर्क लेयर पर होता है इसलिए राउटर नेटवर्क लेयर पर काम करता है।
- इसका काम होता है जो डेटा पैकेट के फार्म में होते है उनको एक नेटवर्क से दूसरे नेटवर्क पर फार्वड करना।
- राउटर OSI माडेल के 7 लेयर में एक नेटवर्क लेयर पर काम करता है।
- इसमे भी रैम,कंसोल, सीपीयु,स्टोरेज मेमोरी,इनपुट आउटपुट पोर्ट,इंटरनेट वर्किंग ऑपरेटिंग सिस्टम होते है।
- एक राउटर के अंदर इनपुट और आउटपुट दोनो का काम करता है इसके साथ साथ वह सेल्फ डिसीजन भी लेता है।
- एक राउटर का प्रयोग एक से अधिक डिजिटल डिवाइस को कनेक्ट करने के लिए प्रयोग किया जाता है।
- बिना मोडेम के हम राउटर का प्रयोग नही कर सकते है।
- राउटर के द्वारा हम किसी भी डिवाइस को केबल के द्वारा और वाई-फाई दोनो के द्वारा कनेक्ट कर सकते है।