कर्तव्य पथ कहे या राज पथ या किंग्सवे Kartavya Path or RajPath or Kingsway-
दिल्ली का वह स्थान जिसको भारत का हर व्यक्ति जानना चाहता है या दर्शन करना चाहता है। यदि कोई व्यक्ति उस स्थान पर जाकर नही देख सकता है तो उसको वह टीवी पर जरुर देखता है क्योकि उस स्थान की चर्चा 15 अगस्त और 26 जनवरी को पूरे देश में जरुर की जाती है। इस स्थान को आजीदी से पहले किंग्सवे और आजादी के बाद किंग्वसे का हिन्दी रुपान्तरण राजपथ के नाम से जानते है। आज के बाद इसी राजपथ को अब नये रुप में कर्तव्य पथ Kartavya Path के नाम से जानेगें और अब यह राजपथ इतिहास में दर्ज हो जायेगा। आज के इस टापिक में हम इसी राजपथ या कर्तव्य पथ के बारे में विस्तार से जानेगें।
राजपथ अथवा कर्तव्य पथ का इतिहास History of Rajpath or Kartavya Path –
इस राजपथ को दिल्ली का शाही मार्ग भी कहा जाता है। यह राजपथ राष्ट्रपति भवन जो रायसीना हिल में स्थित है यहां से शुरु होकर विजय चौक,इंडिया गेट होते हुए दिल्ली के राष्ट्रिय संग्रहालय तक जाता है।करीब तीन किलोमीटर लम्बी इस सड़क का इतिहास उस समय से शुरु होता है जब साल 1911 में भारत की राजधानी दिल्ली का डिजाइन किया गया था। यह वस समय था जब ब्रिटिश हुकूमत ने यह तय किया कि भारतीय साम्राज्य की राजधानी कलक्ता से दिल्ली होना चाहिए। इसका जिम्मा ब्रिटिश के महान शिल्पकार सर इडविन लुटियंश और सर हर्बर्ट बेकर को दिया गया । उसी समय दिल्ली दरबार में शामिल होने के लिए किंग जार्ज पंचम भारत आए थे।
कर्तव्य पथ अथवा राजपथ का निर्माण Manufacture fo Kartavya Path or Rajpath-
ब्रिटिश काल में भारत के मशहूर आर्कीटेक्ट इडविन लुटियंस और हरबर्ट के द्वारा इस सड़का का निर्माण किया गया था इन्होने इस सड़क को बनाने का ठेका सरदार नारायण सिंह को दिया था। राजपथ जिसकी लम्बाई 3.20 किमी है। 9 सितम्बर से इस पथ का नया नाम कर्तव्य पथ होगा। 102 साल में इस पथ के नाम में दो बार बदलाव हो चुका है। सबसे पहले इसका नाम किंग्सवे था। किंग्सवे नाम सेंट स्टीफेंस कॉलेज के प्रोफेसर पर्सिवल स्पियर द्वारा दिया गया था। आजादी के बाद 1955 में इसका नाम बदल कर राजपथ कर दिया गया। फिर एक बार इसका नाम राजपथ से बदलक कर कर्तव्य पथ कर दिया ।
राजपथ को कर्तव्य पथ बनाने में नुकसान –
राजपथ जिसको कर्तव्य पथ बनाया जा रहा है वहां पर उपस्थित बहुत सारे प्रजातियो के पोधे जिसको काट दिया गया है। यहां जो पोधे लगाये गये थे वह पौधे लगभग 90 साल पुराने थे। इन पोधो को एडिवन लुटियन और बागवानी मामलो के मुख्य सलाहकार डब्ल्यू आर. मुस्टो द्वारा लगाया गया था।
यहां के पेड़ पर सैकड़ो बंदरो का मुख्य आशियाना था । जो अब उजाड़ दिया गया है लेकिन उसके स्थान पर नये पेड़ लगाये जायेगें
कर्तव्य पथ पर नया क्या है What is the new on Kartavya Path –
इस प्रोजेक्ट की नींव 10 दिसंबर 2020 को रखा गया था।
इसको प्रोजेक्ट के आर्किटेक्ट बिमल पटेल है जो एचसीपी के चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर भी है।
पूरे प्रोजेक्ट पर खर्च लगभघ 20 हजार करोड़ रुपये है।
सेन्ट्रल विस्टा एवेन्यू आम जनमानस के लिए 9 सितम्बर को खोला जायेगा।
लोगो को टहलने के लिए कर्तव्य पथ के दोनो ओर 15.05 किमी रास्ता बनाया गया है।
हर राज्य का फूड स्टॉल बनाया गया है।
देश के कोने-कोने से 500 कलाकारो द्वारा अपनी कला का प्रदर्शन किया गया है।
सभी 500 कलाकारो द्वारा एक भारत -श्रेष्ठ भारत और अनेकता में एकता की भावना का कर्तव्य पथ पर अनपी कला के माध्यम से प्रदर्शन करेगें।
नये 4 अंडरपास बनाये गये है।
19 एकड़ में जो नहर फैली है उसको पूनः विकसित किया गया है इस पर 16 पुल बनाये गये है।
कर्तव्य पथ का हरित क्षेत्र 3.90 लाख वर्ग मीटर के क्षेत्र में फैला है।
पार्किंग में 1125 गाड़ी को पार्क करने की व्यवस्था होगी।
इंडिया गेट से राष्ट्रपति भवन तक कर्तव्य पथ के दोनो तरफ के क्षेत्र को सेन्ट्रल विस्टा कहते है।
इंडिया गेट पर नेताजी सुभाष चन्द्र बोस की मुर्ति लगी होगी। क्योकि प्रधानमंत्री मोदी द्वारा नेताजी के 125वीं जंयती जो 23 जनवरी 2022 को मनाया गया है इनकी जंयती पर इनके होलोग्राम का अनवारण किया । अनावरण के बाद यह घोषणा किया गया था कि यहां पर नेताजी की ग्रेनाइट पत्थर की प्रतीमा लगायी जायेगी। जो 13 हजार करोड़ के सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट का हिस्सा होगा।
नेतीजी की यह मूर्ति 28 फुट ऊंची होगी।
मूर्ती का वजन 65 मिट्रिक टन है
मुर्ति को अरुण योगीराज ने बनाया है।
नेताजी सुभाष चन्द्र बोस के जीवन पर 10 मिनट का ड्रोन शो इंडिया गेट पर प्रस्तुत किया जायेगा।
विविध–
- इस मूर्ति के स्थान पर इससे पहले यहां पर जार्ज पंचम की मूर्ति लगी थी।
- जो 1939 में तत्कालीन वायसराय लॉर्ड लिनलिथगो ने ब्रिटिश सम्राट के लिए उपयुक्त स्मारक के रुप में किया था।
- इंडिया गेट का निर्माण 1920 में पहले विश्व युद्ध के स्मारक के तौर पर किया गया था।
- राजपथ पर इस स्मारक का निर्माण आर्किटेक्ट एडविन लुटियन्स द्वारा किया गया था।
- 1936 में इंडिया गेट के पास ही छह सड़को के मिलन पर एक 73 फुट की कैनोपी को बनाया गया था।
- इन कैनोपी को किंग जार्ज पंचम की श्रद्धांजली के रुप में जोड़ा जाता है।
- बाद में यहां पर इनकी 50 फुट की संगमरमर की मूर्ति रखी गयी थी।
- किंग जार्ज की प्रतिमा को 1968 में यहां से हटा कर कॉरोनेशन पार्क में लगा दिया गया था।
- नेशनल वार मेमोरियल इंडिया गेट के दुसरी तरफ 400 मीटर पर स्थित है।
- स्मारक पर 25,942 सैनिको का जो 1947-48 के युद्ध में गलवान घाटी में चीनी सैनिको से संघर्ष में शहीद हुए थे उनका नाम स्वर्ण अक्षरो में लिखा गया है। इस स्मारक में उन सैनिको का भी नाम है जो आतंकवादी गतिविधियो में शहीद हुए है।
- यह गणतंत्र दिवस पर परेड का स्थान है।
- परेड को राष्ट्रपति द्वारा सलामी दी जाती है।
- सरदार नरायाण सिंह की निगरानी में राजपथ समेत दिल्ली के विभिन्न चौड़ी सड़को का निर्माण कराया गया था।
- नई दिल्ली के चीफ डिजाइनर एडविन लुटियंस और उनके साथी हरबर्ट बेकर थे।
- राष्ट्रपति भवन को पहले वायसराय हाउस कहा जाता था।
- ग्रेट प्लेस को अब विजय चौक के नाम से जाना जाता है।
- राष्ट्रपति भवन के पास गोलाकार संसद भवन बनाया गया था जिसका उद्धघाटन 1927 में तत्कालीन वायसराय लॉर्ड इरविन ने किया था।
- पहला गणतंत्र दिवस समारोह इंडिया गेट परिसर के पीछे इरविन स्टेडियम जो अब ध्यानचंद नेशनल स्टेडियम के नाम से जाना जाता है में मनाया गया था।