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1 पं बंगाल West bengal-

पं बंगाल West bengal-

पं. बंगाल West Bengal भारत के पूर्व में स्थित एक राज्य है जो तीन ओर से अंतर्राष्ट्रीय देश से घिरा हुआ है तथा पांच राज्यो से इसकी सीमा मिलती है। यह राज्य में पहले 23 जिले होते थे लेकिन हाल ही में प. बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी द्वारा जिलो की संख्या में परिवर्तन करके किया गया। पं. बंगाल के इतिहास में नजर डाला जाय तो प. बंगाल की राजधानी जो इस समय कोलकाता है पहले यह देश की राजधानी हुआ करता था लेकिन अंग्रेजो द्वारा इसको 1912 में हटा कर देश की नयी राजधानी बना दिया गया। बंगाल राज्य द्वारा देश के लिए एक से बढ़कर एक क्रांतीकारी और महापुरुष दिये। पं. बंगाल पर अंग्रेजो द्वारा कब्जा करने के लिए दो महत्वपूर्ण युद्ध लड़ा गया था। जैसा कि आप जानते है पं. बंगाल हमारे देश के पूर्व में लेकिन इसको हम पश्चिम बंगाल के नाम से जानते है। जीके के इस भाग में हम और भी बहुत सारी बाते जानेगे जो आप सभी लोगो को जानना जरुरी है।

पश्चिम बंगाल के बारे About the West Bengal-

पं. बंगाल की राजधानी कोलकाता
पं. बंगाल के प्रथम मुख्यमंत्री प्रफुल्ल चंद घोष
पं. बंगाल वर्तमान मुख्यमंत्री ममता बनर्जी
पं. बंगाल के प्रथम राज्यपाल चक्रवर्ती राजगोपालचारी
पं. बंगाल के वर्तमान राज्यपाल एल गणेशन
पं. बंगाल का राजकीय पशु फिशिंग कैट
पं. बंगाल का राजकीय पक्षी वाइट थ्रोटेड किंगफिशर
राजकीय पुष्प जाश्मिन है इसको विभिन्न नाम से जानते है जैसे-हरसिंगार,शेफाली , शिउली आदि।
राजकीय वृक्ष चातिम वृक्ष
राजकीय मिठाई रसगुल्ला
राजकीय खेल फुटबॉल
राजकीय नृत छाउ
लोकसभा सीटे 42
राज्यसभा सीटे 16
विधानसभा की कुल सीट 295
हाईकोर्ट कलकत्ता में है।
राज्य की भाषा बाग्ला, अंग्रेजी

पं बंगाल का इतिहास History of West bengal-

पं. बंगाल में मुगलो के शासन काल के बाद अंग्रजो का शासन आया । आइये जानते है प. बंगाल का वो इतिहास जो अंग्रेजो के आगमन के बाद शुरु होता है।

अंग्रेज ईस्ट इंडिया कंपनी के नाम से भारत में 1603 में प्रवेश किया। प्रवेश करने के बाद वो अपने व्यवसायिक केंद्रो की स्थापना करनी शुरु कर दी। इन्होने अपने व्यसायिक केंद्रो को सूरत,बंबई,मद्रास और कलकत्ता आदि स्थानो पर किया था इनका देखा देखी डच और पुर्तगाली व्यापारी भी मुगलो से बातचीत कर अपना व्यसायिक केंद्रो को स्थापित करना शुरु कर दी यह बात अंग्रेजो को अच्छी नही लगी और ईस्ट इंडिया कंपनी का हेड जोजाया चाइल्ड भड़क उठा और यहीं पर उसने गलत फैसला ले लिया और उसने अपने सैनिको से कहा कि अरब सागर और बंगाल की खाड़ी मे जो भी जहाज मिले उसको लूट लिया जाय जोजाया के इस ऑपरेशन को जंग-ए-चाइल्ड के नाम से जाना जाता है।

अंग्रेज अपने 308 सिपाहियों के साथ उस बादशाह से भिड़ रहे थे जिसकी सत्ता काबुल से ढाका और कश्मीर से पुड्डुचेरी तक फैला था। उस बादशाह का नाम औरंगजेब था। औरंगजेब के पास उस समय लगभग 10 लाख सैनिक थे। इस युद्ध में अंग्रेज बुरी तरह से पराजित हुए। अंग्रेजो के सभी कारखानो पर मुगल का कब्जा हो गया अंग्रेज मजबूर होकर बात करने के लिए अपने दूत जॉर्ज वेल्डन और अबराम नॉआर को भेजा। जो कई महीने के कोशिश के बाद सितम्बर 1690 में बादशाह औरंगजेब से मिलने में कामयाब हो गये। ये दूत बादशाह से काफी मिन्नते किये तब जाके औरंगजेब उनसे समझौते के लिए तैयार हो गया और इस समझौते के बदले उसने अंग्रजो से 150 लाख रुपये हर्जाना दिये। इस शर्त पर छोड़ा गया कि अब दोबारा इधर का रुख न करे।

औरंगजेब की मृत्यु 3 मार्च 1707 में हो गया जिसके बाद मुगल सामाराज्य कई हिस्सो में बट गया और मुगल सामाराज्य कमजोर हो गया इसका फायदा अंग्रजो ने उठाया। अंग्रेजो ने फुट डालो राज करो की तरीका निकाला और सफल रहे।

बंगाल पर अंग्रेजो का आधिपत्य  British occupation of Bengal-

मुगल सामाराज्य के समय बंगाल काफी समृद्ध राज्य था। अंग्रजो द्वारा इस पर अधिकार करने के लिए दो महत्वपूर्ण युद्ध लड़े गये

प्लासी का युद्ध War of Plasi-

प्लासी का युद्ध 23 जून 1757 ईं को बंगाल के नबाव सिराजुद्दौला और अंग्रेज के सेनापति रॉबर्ट क्लाइव के बीच हुआ था। इस युद्ध में बंगाल के सेनापति मीरजाफर की धोखाधड़ी की वजह से नवाब को हार का सामना करना पड़ा था।

अंग्रजो का साथ देने की वजह से अंग्रेजो ने मीरजाफर को बंगाल का उत्ताराधिकारी नियुक्त कर दिया। 1760 ईं अंग्रेजो ने मीरजाफर को हटा कर मीरजाफर का दामाद मीर कासिम को बंगाल का नबाव नियुक्त कर दिया गया।

बक्सर का युद्ध War of Baksar-

1764 ईं के युद्ध जो अंग्रेज एंव मीर कासिम, मुगल सम्राट शाह आलम द्वितीय व अवध के नवाब शुजाउद्दौला के बीच में हुआ था। इस युद्ध में अंग्रेजो का सेनापति हेक्टर मुनरो था।

पं. बंगाल की सीमा Area of plasi-

पं. बंगाल की सीमा यदि अंतर्राट्रीय दृष्टि से देखा जाय तो तीन देशो से शेयर होता है।

  • बंग्लादेश
  • भूटान
  • नेपाल

पं. बंगाल की सीमा यदि राष्ट्रीय स्तर से देखा जाय तो यह 5 राज्य से शेयर करता है।

  • ओडिशा
  • झारखंड
  • बिहार
  • सिक्किम
  • असम

पं. बंगाल का नाम पं बंगाल क्यो पड़ा- जैसा कि आप जानते है पं. बंगाल हमारे देश के पूर्व में स्थित है लेकिन फिर भी इसका नाम पश्चिम बंगाल है ऐसा इसलिए है क्योकि जब हमारा देश आजाद नही हुआ था तब हमारा देश और बंग्लादेश एक था लेकिन आजादी के बाद जब हमारा देश आजाद हुआ तो बंग्लादेश पाकिस्तान में चला गया जो सबसे पूर्व में था जबकि बंगाल जो कि पश्चिम था वह हमारे देश में शामिल हो गया। इसका कोई और नाम न रख कर प. बंगाल रख दिया गया तब से इसको पं.बंगाल के नाम से जानते है।

पं बंगाल की स्थापना Establishment of West Bengal-

पं. बंगाल की स्थापना दिवस 1 नवम्बर 1956 को मनाया जाता है।

पं. बंगाल का भूगोल Geography of West Bengal-

यदि इसका भूगोल देखा जाय तो पं. बंगाल का कुल क्षेत्रफल 88,752 वर्ग किमी है। जो तीन देश और 5 राज्यो से घिरा हुआ है। इस राज्य में 80 से अधिक नदी और बहुत सारे पर्यटन स्थल है। इन पर्यटन स्थलो को देखन के लिए देश दुनिया से लोग यहां आते रहते है। यहां के हिल्स स्टेशन देखने लायक है जैसे आयोध्या पहाड़ी,सीलिगुड़ी,संदकफू,कुर्सियांग.दार्जलिंग आदि ।

पं. बंगाल के मंडल( Devision of West Bengal)-

प. बंगाल के कुल मंडलो की संख्या 5 है जो इस प्रकार है –

  • मेदनीपुर
  • जलपाईगुड़ी
  • बर्दवान
  • मालदा
  • प्रेसीडेंसी

पं. बंगाल में जिले की संख्या District of West Bengal-

एक अगस्त 2022 के पहले पं. बंगाल में जिलो की संख्या 23 हुआ करता था लेकिन पं. बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी द्वारा जिलो की संख्या 23 से बढ़ा कर 30 कर दिया गया। आइये जानते पुराने और नये कौन से जिले है –

पं. बंगाल के 23 पुराने जिले-

झारग्राम बांकुरा बीरभूमि
अलीपुरद्वार पूर्व बर्धमान मालदा
कुच बिहार जलपाईगुड़ी हुगली
हावड़ा दार्जलिंग उत्तर दिनाजपुर
कोलकाता पश्चिमी मेदिनीपुर पूर्वी मेदिनी पुर
मुर्शिदाबाद नादिया पुरुलिया
दक्षिणी दिनाजपुर दक्षिण 24 परगना उत्तर 24 परगना
कलिंपोंग पं. बर्धमान

पं. बंगाल के 7 नये जिले Seven new district of West Bengal-

सुंदरवन

इच्छामति

राणाघाट

बिष्णुपुर

जंगीपुर

बहरामपुर

बशीरहाट

पं. बंगाल के पांच प्रमुख पर्यटन स्थल-

यदि आप पं. बंगाल की यात्रा पर जाते है तो आइये जानते पं. बंगाल कौन से पांच प्रमुख पर्यटन स्थल है।

कोलकाता-

कभी यह देश की राजधानी हुआ करता था इस समय यह पं. बंगाल की राजधानी है। इतिहास के नजरिये से देखा जाए तो यह देश का प्रमुख शहर है। यहां पर देख सकते है कि भारत का मात्र एक शहर है जहां पर ट्राम चलता है। दक्षिणेश्वर काली मंदिर,टीपू सुल्तान मस्जिद, विद्यासागर सेतु, हुगली नदी, विक्टोरिया मेमोरियल और भी बहुत सारे पर्यटन स्थल जो आपका मन मोह ले ।

दार्जिलिंग-

एक समय था जब दार्जिलिंग प.बंगाल की ग्रीष्मकालीन राजधानी होती थी। यहां आने के बाद बर्फ से ढकी पहाड़ियो का आनन्द ले सकते है। यह शहर चाय की बागनो के लिए प्रसिद्ध है। इसके अलावा आप यहां पर रोपवे का मजा ल सकते है।

दुर्गापुर

यदि आप बंगाली संस्कृति का अनुभव करना चाहते है तो दुर्गापुर अवश्य जाये। यहां पर बंगाली भोजन का स्वाद पा सकते है।

शातिंनिकेतन-

शांतिनिकेतन भारत के प्रमुख कवियों में से एक नोबेल पुरस्कार से सम्मानित रविन्द्रनाथ टैगोर का जन्म स्थान है.। आप यहां आकर रविन्द्रनाथ संग्राहलय और इनके आश्रम को देख सकते है।

दीघा- यह पूर्व मेदनीपुर जिले में स्थित है। इसकी खोज अंग्रेजो द्वारा 18वें शताब्दी की गयी थी। दीघा सी पर सुर्योदय और सूर्यास्त दोनो का ही नजारा देखने लायक है। पं. बंगाल की वर्तमान मुख्यमंत्री ममता बनर्जी द्वारा दीघा सी को सुन्दरीकरण करने की महत्वकांक्षी योजना है।

पं. बंगाल के राष्ट्रीय उद्यान –

जीव जन्तु के संरक्षण के लिए पं. बंगाल में बहुत सारे पार्क का निर्माण किया गा है जिससे जंगली जानवरो और अन्य जीव पेड़ पौधो का सरंक्षण किया जा सके। आइये इनमे से कुछ मुख्य राष्ट्रीय उद्यान के बारे में जानते है।

सुंदरबन नेशनल पार्क-

यह पार्क की पहचान विश्व प्रसिद्ध बंगाल टाइगर के घर के रुप में है। यह पार्क सुन्दर वन डेल्टा पर स्थित है जो गंगा नदी के मुहान पर स्थित है। यह पार्क विभिन्न प्रकार के स्तनधारियो और लुप्तप्राय जलीय जीव व जानवरो के लिए प्राकृतिक आवास है।

गोरुमारा नेशनल पार्क-

यह पार्क हिमालय के तलहटी में स्थित है और यह पार्क राइनो के घऱ के रुप में जाना जाता है। इस पार्क को 1949 में वन्य जीव अभयारण्य घोषित किया गया है। यह पार्क मानसून के मौसम में बंद रहता है लेकिन जून से सितंबर के बीच खुला रहता है।

नेओरा वैली नेशनल पार्क

यह पार्क कालिम्पयोंग जिले में स्थित है।इस पार्क की पहचान लाल रंग के पांड के रुप मे है। यह पार्क बर्फ से ढके पहाड़ो से घिरा है। यह स्थान पहाड़ो के बीच स्थित है। पार्क के जंगल और नदी इसको बहुत खूबसूरत बनाता है।

सिंगालिला नेशनल पार्क-

जलदापारा नेशनल पार्क-

यह पार्क तोर्सा नदी के किनारे पर स्थित है। पार्क विभिन्न प्रकार के वनस्पतियो और जीवों के लिए जाना जाता है। इस पार्क सबसे अधिक एक सींग वाले गैंडे पाये जाते है। पार्क में हाथी गलियारा भी बै जो जिसकी आप सवारी कर पूरे पार्क को देख कर मजा ले सकते है। इसलिए इस पार्क को राइनो और हाथी सफारी के लिए जाना जाता है।

बंगाल में बहने वाली नदी River flow in Bengal-

एक आकड़े के अनुसार बंगाल में 70 से अधिक नदी बहती है। आइये जानते है बंगाल में बहने वाली प्रमुख नदियां कौन सी है-

हुगली नदी-

इस नदी को विश्व का सबसे अधिक विश्वास घाति नदी के रुप मे जाना जाता है। इस नदी का प्राकृतिक स्रोत मुर्शिदाबाद जिले में गिरिया के समीप बताया जाता है। हुगली नदी में जो अधिकांश गंगा नदी से जल लाने वाली फरक्का फीडर नहर से आता है। इस नदी की औसल गहराई 108 फीट है।

गंगा नदी-

गंगा नदी बंगाल की खाड़ी में समाहित होने से पहले पं. बंगाल के सुंदरवन डेल्टा में प्रवेश करती है। गंगा नदी को हुगली नदी की लाइफ लाइन भी कहा जाता है। पं. बंगाल में इसकी कुल लंबाई 250-260 किमी है। लगभग 2250 किमी दुरी तय करने के बाद भी गंगा में इतनी गंदगी नही मिलती जितनी गंदगी उसको 250-260 में मिल जाती है।

दामोदर नदी-

यह नदी झारखंड में पलामू जिले के छोटा नागपुर के पहाड़ीयो से निकलकर पं बंगाल के हुगली नदी में मिल जाती है। यह हुगली नदी में मिलने से पहले लगभग 530 किमी की दूरी तय करती है। 530 किमी में 290 किमी की दूरी यह झारखंड में तय करती है। इसकी सहायक नदियों में कोनार,बोकारो और बराकर है।

अजय नदी-

इस नदी का उदगम स्थान मुंगेर है। यह नदी बिहार,झारखंड, और प. बंगाल में बहती है। इस नदी को अजमावती नदी के नाम से भी जानते है। इस नदी पर बहुत सारे बांध बनाये गये है। इसको हुंगली नदी की उपनदी भी कहा जाता है। इस नदी की कुल लंबाई लगभग 300 किमी है

सप्तमुखी नदी-

यह नदी सुल्तानपुर के नजदीक से निकलती है। मथुरापुर और कुलपी के बीच बहती है। 80 किमी की दुरी तय करने के बाद बंगाल की खाड़ी में गिर जाती है।

इसके अलावा यहां पर और भी बहुत से नदी है उनमे से कुछ का नाम इस प्रकार है।

भैरव नदी बेहुला नदी ब्राह्मणी नदी चोइता नदी
चुन्नी नदी धरला नदी द्वारका नदी गंधेश्वरी नदी
गोसाबा नदी हल्दी नदी घरघरिया नदी हल्दी नदी
हिंगलो नदी इचामती नदी जलंगी नदी जलधाका नदी
जमुना नदी घिया नदी कपालेश्वरी नदी करातोया नदी
केलेघई नदी केथा नदी खारी नदी खोंग खोला
कुंती नदी मतला नदी सप्तमुखी नदी शिलाबती नदी
तल्मा नदी तीस्ता नदी ठकुरन नदी तोर्शा नदी
सिंगामरी नदी संकोश नदी रंगीत नदी रैदक नदी

फरक्का डैम-

यह बैरेज भारत के प्रमुख बैरेज में से एक है जो प. बंगाल में बना हुआ है। यह बैरेज बंग्लाजेश की सीमा से मात्र 10 किमी पर स्थित है। यह बांद 1974 -1975 में हिन्दुस्तान कंस्ट्रकश्न कंपनी द्वारा बनाया गया था। इस बैरेज की लंबाई 2245 मीटर है। कोलकाता को गाद से मुक्त करने के लिए इसका निर्माण किया गया है।

बंगाल के प्रसिद्ध लोग popular person-

बंगाल शुरु से शिक्षा के क्षेत्र में आगे रहा है इसलिए यहां के लोग विश्व में काफी प्रसिद्ध हुए प्रसिद्ध हुए लोगो में कुछ लोगो के नाम के बारे में बता रहे है।

राजा राम मोहन राय

इनका जन्म 22 मई 1772 में हुआ था और इनकी मृत्यु 27 सितम्बर 1833 को हुआ था। इनको आधुनिक भारत का जन्मदाता माना जाता है। इन्होने समाज में स्थित कुरीतियो को समाप्त करने के लिए बहुत प्रयास किया । ये ब्रह्मासमाज का संस्थापक थे। इनके द्वारा बाल-विवाह,सती प्रथा,जातिवाद,पर्दा प्रथा का घोर विरोध किया।

रविन्द्रनाथ टैगोर –

इनका नाम विश्व के महान कवियों में लिया जाता है। ये भारत के ही नही एशिया पहले व्यक्ति है जिनको नोबेल पुरस्कार से नवाजा गया है। इनका जन्म 7 मई 1861 को हुआ था इनकी मृत्यु 7 अगस्त 1941 को हुआ था। इनकी दो रचना दो देशो के राष्ट्रगान के रुप में लिया गया है ये राष्ट्रगान है जन-गण-मन जो भारत द्वारा और आमार सोनार बांड्ला जो बंग्लादेश द्वारा लिया गया था। इनको गुरुदेव के नाम से लोग पुकारते थे।

अमर्त्य सेन-

अमर्त्य सेन जी को 1998 में अर्थशास्त्र में नोबेल पुरस्कार से नवाजा या था। इनका जन्म 3 नवम्बर 1933 को कोलकाता में शांति निकेतन में हुआ था। इनको 1999 में भारत रत्न सम्मानित किया गया था ।

शरत चन्द्र चट्टोपाध्या-

बंगाल प्रसिद्ध उपन्यासकार शरत चन्द्र चट्टोपाध्या का जन्म 15 सितम्बर 1876 में हुआ था। इनकी मृत्यु 16 जनवरी 1938 को हुआ था। इनके प्रसिद्ध उपन्यास- देवदास, चरित्रहीन,परिणीता आदि।

महाश्वेता देवी-

महाश्वेता देवी सामाजिक कार्यकर्ता एंव लेखिका थी इनको भारत का महत्वपूर्ण पुरस्कार ज्ञानपीठ से सम्मानित किया गया है। इनका जन्म 14 जनवरी 1926 ढाका में हुआ था इनकी मत्यु 28 जुलाई 2016 में हुआ था।

राम कृष्ण परम हंस-

इनका जन्म 18 फरवरी 1836 में कामारपुकुर ग्राम में हुआ था। इनके बचपन का नाम गदाधर था। रामकृष्ण लोगो को शिक्षित करने के लिए छोटी कहानियो का मदद लेते थे। इनके शिष्यो में स्वामी विवेकानन्द प्रमुख शिष्य थे। इनकी मृत्यु 1886 ई. में हुआ था।

स्वामी विवेकानंद-

इनका जन्म 12 जनवरी 1863 ई. में हुआ था। ये वेदान्त के विख्यात और प्रभावशाली आध्यात्मिक गुरु थे। इनका वास्तविक नाम नरेन्द्र नाथ दत्त था। इन्होने अमेरिका के शिकागो में विश्व धर्म महासभा में भारत की तरफ से सनातन धर्म का प्रतिनिधित्व किया था। इनके द्वारा राम कृष्ण मिशन की स्थापना किया था। यह मिशन आज भी काम कर रही है। इनकी मृत्यु 4 जुलाई 1902 में हुआ था।

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