Skyroot aerospace द्वारा भारत के निजी क्षेत्र में राकेट के क्षेत्र में नयी शुरुआत स्काईरुट के द्वारा किये गये इस प्रयास से पूरा देश खुश हुआ।
देश में अब नये युग की शुरुआत हो रहा है । क्योकि अभी तक इसरो अन्य देशो का राकेट लांच कर रहा था लेकिन अब इसरो पहली बार देश की निजी कंपनी का राकेट लांच करने जा रहा है। इस राकेट के लांच करने का विंडो 12 से 16 नवम्बर था लेकिन मौसम खराब होने के कारण इसकी नयी डेट 18 नवम्बर तय किया गया है। अब 18 नवम्बर को इस राकेट को लांच किया जायेगा। इसरो के अध्यक्ष एस सोमनाथ ने बताया कि अंतरिक्ष तकनीक औऱ नवोन्मेष के क्षेत्र में इसरो के साथ लगभग 100 स्टार्ट-अप समझौता कर चुके है। लेकिन बाजी Skyroot Rocket की कंपनी ने मारी जिसका पहला राकेट लांच होने जा रहा है। आइये जानते है Skyroot Rocket के बारे में –
What is the Skyroot Rocket-
यह भारत की पहली प्राइवेट कंपनी है जिसके राकेट को इसरो द्वारा लांच किया जा रहा है। इसको बनाने वाले इसरो के पूर्व वैज्ञानिक रह चुके है जिनका नाम पवन कुमार चंदना और नागा भरत डका है। चंदन इसरो में 6 साल तक काम किया थे। ये केरल के विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र में तैनात थे। इसरो मे ही इनकी मुलाकात नागा भरत डका से हुयी थी। दोनो द्वारा मिलकर अपने सपनो का उड़ान भरने के लिए 2018 स्काईरुट की स्थापना किया गया ।
कंपनी का निर्माण- 12 जून 2018
फाउन्डर-पवन कुमार चंदना और नागा भरत डका
हेडक्वॉटर्र- हैदराबाद
लान्चिंग के पहले राकेट- विक्रम-S, विक्रम-1, विक्रम-2, विक्रम-3
स्काईरुट एयरोस्पेस छोटे उपग्रहो को अंतरिक्ष में ले जाने के लिए राकेट का निर्माण कर रहा है।
स्काईरुट द्वारा बनाया गया पहला राकेट-
स्काईरुट द्वारा बनाया गया पहला राकेट जिसका प्रक्षेपण इसरो द्वारा किया जा रहा है उसको विक्रम-S नाम दिया गया है । विक्रम-S राकेट एक सब आर्बिटल रॉकेट है जो तीन पेलोड को स्पेस में लांच करेगा। इसके अलावा यह कंपनी तीन और राकेट बना रही है जिसका नाम इन्होने विक्रम-1, विक्रम-2, विक्रम-3 दिया गया है। स्काईरुट द्वारा इसको विक्रम नाम इसलिए दिया गया है क्योकि भारत में स्पेस के जनक विक्रम साराभाई है। इसलिए इनके सम्मान में इन्होने इसका नाम विक्रम रखा है।
प्राइवेट कंपनी के रॉकेट लांचिग से सरकार को क्या फायदा होगा-
अभी तक देश में जितने भी रॉकेट लांच किये जाते थे वह सरकार की स्वामित्व वाली कंपनी इसरो देखती थी। लेकिन सरकार द्वारा राकेट लॉन्चिंग को प्राइवेट सेक्टर के लिए 2020 में खोल दिया गया है सरकार द्वारा ऐसा घोषणा करन के बाद कई कंपनी जैसे एस्ट्रोगेट,स्काईरुट अग्लिकुल,ध्रुव आदि कंपनी बाजार में उतर चुकी है। इसके लिए सरकार द्वारा स्पेसटेक सेक्टर में प्राइवेट कंपनीयो के सहयोग के लिए इंडियन स्पेस एसोसिएशन IspA की शुरुआत किया गया है।
प्राइवेट कंपनी को आने से भारत को दुनिया 32000 करोड़ रुपये के स्पेसटेक मार्केट में अपनी जगह बनाने में मदद मिलेगी। भारतीय स्पेसटेक इंडस्ट्री 2035 77 अरब डालर हो जाने का अनुमान व्यक्त किया गया है।
आंध्र प्रदेश: श्रीहरिकोटा में भारत का पहला निजी रॉकेट ‘विक्रम-एस’ का प्रक्षेपण हुआ। यह स्काईरूट एयरोस्पेस द्वारा बनाया गया है जिसके मिशन का नाम ‘प्रारंभ’ रखा गया है। विक्रम-एस रॉकेट ने श्रीहरिकोटा में #ISRO के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से उड़ान भरी। pic.twitter.com/C3CsLcmDgt
— ANI_HindiNews (@AHindinews) November 18, 2022
विविध-
स्काईरुट देश की पहली प्राइवेट कंपनी है जो राकेट बनाती है।
स्काईरुट एयरोस्पेस के मुख्य परिचालन अधिकारी एन भरत डाका है।
विक्रम-S राकेट सिंगल स्टेज वाला उपकक्षीय प्रक्षेपण यान है।
इसको श्रीहरिकोट में भारतीय अंतरिक्ष अनुंसंधान संगठन के लांच पैड से प्रक्षेपित किया जायेगा।
स्काईररूट एयरोस्पेस ने अपने पहले मिशन को प्रारंभ नाम दिया है।
यह राकेट अमेरिका,इंडोनेशिया और भारत के छात्रो के 2.5 किलोग्राम के उपग्रह को लेकर जायेगा।
स्काईरुट एयरोस्पेस ने 25 नवम्बर 2021 को ही नागपुर स्थित इंडस्ट्री लिमिटेड की टेस्ट फैसिलिटी में अपने थ्रीडी प्रिंटेड क्रायोजेनिक इंजन का सफल परीक्षण किया था। क्योकि थ्रीडी प्रिटेंड क्रायोजेनिक इंजन आम इंजन की तुलना में काफी मजबूत होते है औऱ सस्ते भी होते है।
विक्रम -2 और 3 को लांच करने में जिस व्हीकल का प्रयोग किया जायेगा उस व्हीकल में जिस ईधन का प्रयोग किया जाता है उस ईधन को लिक्विड नेचुरल गैस और लिक्वड ऑक्सीजन के नाम से जानते है। इससे प्रदुषण नही होता है।