Most Important Dam डैम बांध-
Dam का निर्माण किसी भी देश के विकास में महत्वपूर्ण योगदान देते है क्योकि बांध का प्रयोग जल की धारा को रोकने के लिए किया जाता है ताकी इस जल का प्रयोग हम अपने विभिन्न प्रकार परियोजनाओं में लगा सके । ये परियोजना हो सकती है –सिचाई की अथवा विद्युत उत्पादन की इसके अलावा बांध का निर्माण इसलिए भी किया जाता है ताकी बाढ़ को नियत्रण किया जा सके क्योकि बाढ़ द्वारा हर साल बहुत सारे लोगो की फसल और घर नष्ट हो जाते है। आइये भारत में स्थित विभिन्न बांध जो परीक्षा में पूछे जाते है उनेक बारे में जानते है।
1-टिहरी बांध-
यह बांध उत्तराखंड राज्य के टिहरी जिले में स्थित है। इस बांध को स्वामी रामतीर्थ सागर बांध भी कहते है। इस DAM का निर्माण हिमालय की दो महत्वपूर्ण नदियों पर1972 में शुरु किया गया था। 2005 में इसकी आखरी सुरंग बंद हुयी थी औऱ 2006 से बिजली का उत्पादन शुरु किया था। ये नदी है भागीरथी जो गंगा नदी की सबसे बड़ी सहायक नदी है दूसरी है भीलागना नदी।
टिहरी बांध की ऊचाई 261 मीटर है जो की विश्व का पांचवा सबसे ऊचा बांध है। और भारत का सबसे ऊँचा बांध है। इस बांध का प्रयोग बिजली उत्पादन और सिंचाई के लिए किया जाता है।
2-कलनई बांध
यह विश्व के प्राचीन बंधो मे से एक है औऱ भारत का सबसे प्राचीन बांध है यह बांध तमिलनाडु राज्य के तिरुचिरापल्ली जिले में कावेरी नदी पर बना है। इस बांध का निर्माण चोल राजवंश के शासक राजा करिकल चोल द्वारा कराया गया था। इस बांध की लम्बाई लगभग 329 मीटर है और चौड़ाई 20 मीटर है । इस बांध के द्वारा लगभघ 10 लाख एकड़ भूमि की सिंचाई की जाती है।
3-नागार्जुन बांध-
इस बांध को नागार्जुन सागर बांध परियोजना के नाम से जानते है। यह बांध भारत के तेलंगाना राज्य में कृष्णा नदी पर स्थित है। इस बांध की परिकल्पना अंग्रजो के शासन काल में 1903 में की गयी थी। इस बांध की नींव भारत के प्रथम प्रधान मंत्री श्री पं. जवाहर लाल नेहरु द्वारी रखी गयी थी। इसके निर्माण का कार्य 1966 में पूरा हुआ था। इस बांध का 4 अगस्त 1967 को प्रधानमंत्री इंदरी गांधी 1967 में किया गया था।
इस बांध के निर्माण से दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी झील का निर्माण होता है।
4-गोबिंद बल्लभ पंत सागर बांध
इसको रिहंद बांध के नाम से जानते है।रिहंद बांध के जलाशय को गोविंद बल्लभ पंत सागर के नाम से जानते है । यह भारत की सबसे बड़ी कृत्रिम झील है। यह झील उत्तर प्रदेस और मध्य प्रदेश की सीमा पर स्थित है। जो उत्तर प्रदेश के सोनभद्र जिले में स्थित है। इस बांध की लंबाई 934.45 मीटर और ऊचाई 91.46 मीटर है। इस बांध की आधार शिला 13 जुलाई 1954 को और उद्धघाटन जनवरी 1963 को देश के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरु द्वारा किया गया था। इस बांध की सहायता से 300 मेगावाट बिजली का उत्पादन किया जाता है। इस
5-हीराकुंड बांध-
हीराकुंड बांध Hirakund Dam उड़ीशा राज्य में स्थित है जो संबलपुर जिले में स्थित है। इस बांध के निर्माण का कार्य 1948 में शुरु किया गया था। जो 1953 में पूरा हुआ था । 1953 में बाद यह काम करना शुरु कर दिया गया था। इस बांध की कुल लम्बाई 4.8 किमी और तंटबंधो की कुल लंबाई 25.8 किमी है जो विश्व के सबसे लंबे बंधो में गिना जात है। इस बांध के निर्माण से बने झील के कारण इस पर दो अलग अलग विद्युत गृह का निर्माण किया गया है। इस बांध से तीन मुख्य नहरे निकाली गयी है। इस बांध के द्वारा जिस झील का निर्माण होता है वह झील एशिया की सबसे बड़ी कृत्रिम झील कहलाती है।
6-भाखड़ा और नांगल परियोजना
इस बांध का निर्माण हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर जिले के सतलुज नदी पर किया गया है जिसका उद्धघाटन देश के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरु द्वारा किया गया था। इस बांध की ऊचाई 840 फीट है जो टिहरी बांध 756 फीट के बाध भारत का दुसरा सबसे ऊंचा बांध है। यह बांध 1963 में देश के लिए खोला गया था। इस बाध के निमार्ण से इस बांध के जल का प्रयोग सिंचाई और बिजली उत्पादन 1325 मेगावाट किया जाता है। इस उत्पादित बिजली पंजाब,हरियाणा, गुजरात, राजस्थान,और हिमाचल प्रदेश को प्रदान किया जाता है।
7-पोंग बांध-
इस बांध का निर्माण हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले में 1945 में शिवालिक पहाड़ियो के बीच बहने वाली व्यास नदी को बांध कर किया गया है। इसको महाराणाप्रताप सागर को नाम से भी जाना जाता है। इससे निर्मित झील में प्रसिद्ध महासीर मछली पायी जाती है। भारत के द्वारा घोषित 25 अंतर्राष्ट्रीय आर्दभूमि साइटो में से एक है।
8-सरदार सरोवर बांध-
यह भारत का दूसरा सबसे बड़ा बांध है। जो नर्मदा नदी पर 1960 के आसपास प. जवाहर लाल नेहरु द्वारा मूर्त रुप दिया गया था। इस बांध के निर्माण का कार्य विश्व बैंक की सहायता से 1980 में किया गया था। इसकी बांध की कुल ऊँचाई 138 फीट और लंबाई 1210 मीटर है। इस बांध के निर्माण से गुजरात, मध्यप्रदेश,महाराष्ट्र और राजस्थान को बिजली और पानी की आपूर्ती की जाती है।
9-फरक्का बांध परियोजना
यह बांध पं. बंगाल में गंगा नदी पर बना है जो बंग्लादेश की सीमा से 10 किमी की दुरी में स्थित है। इस बांध का निर्माण हिन्दुस्तान कंस्ट्रक्शन कंपनी द्वारा किया गया था। इस बांध को निर्माण इस लिय़े किया गया है ताकी कोलकाता को गाद से मुक्त किया जा सके।
10-रणजीत सागर बांध-
इस बांध को थीन बांध के रुप में भी जाना जाता है। यह बांध पंजाब का सबसे बड़ा जल विद्युत बांध है। इस बांध का निर्माण पंजाब के पठानकोट जिले में रीवा नदी पर इसका निर्माण किया गया है।इस बांध का निर्माण 1982 में शुरु किया गया था तथा 1999 में पूरा किया गया था। यहां पर 150 मेगावाट की चार विद्युत इकाईयाँ लगाई गयी है।
11-माताटीला बांध
Matatila Dam बांध उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश का सयुक्त परियोजना है जो उत्तर प्रदेश के ललितपुर जिले में स्थित है। यहां की पहाड़ी की चोटी पर मां दुर्गा की मुर्ति है उन्ही के नाम पर इस डैम का नाम माता टीला पड़ा। इस बांध का निर्माण 1958 में बेतवा नदी पर किया गया था। माताटीला परियोजना से 30.6 मेगावाट विद्युत का उत्पादन किया जाता है। इस परियोजना के अंतर्गत भंडेर नहर जो की सिचाई का मुख्य परियोजना है
12-कृष्णा राजा सागर बांध-
इस Dam को कर्नाटक राज्य में एम. विश्वशरैया द्वारा 1932 निर्माण शुरु किया गया था। इस बांध के निर्माण से कावेरी ,हेमावती और लक्ष्मण तीर्थ नदियां आपस में मिलती है। इस बांध की लंबाई 2661 मीटर है और बांध की ऊचाई 39 मीटर है।
13-तुंगभद्रा बांध-
इस बांध का निर्माण कर्नाटक राज्य के बल्लारी जिले के होस्पेट नामक स्थान पर बनाया गया है। यह बांध 1953 मे तुंगभद्रा नदी किया गया था । इस बाध का निर्माण डॉ. थिरुमलाई अयंगर द्वारा किया गया था।यह नदी कृष्णा नदी की सहायक नदी है। बांध से निकलने वाली नहरो कर्नाटक और आंध्र प्रदेश के खेतो की सिंचाई की जाती है। इस बांध के द्वारा 72 मेगावाट विद्युत का उत्पादन किया जाता है।
14-इडुक्की बांध-
यह बांद डबल वक्रता आर्क बांध है इस बांध का निर्माण पेरियार नदी के पार संकीर्ण कंठ में बनाया गया है। यह बांध इडुक्की जिले में बने होने के कारण इस बांध को इडुक्की बांध के नाम से जानते है। यह बांध एशिया के सबसे ऊंचे आर्क बंधों मे से एक है। इस बांध का स्वामित्व केरल राज्य के विद्युत बोर्ड के पास है।
15-मुल्लापेरियार बांध-
लगभग 126 साल पुराना मुल्लापेरियार बाँध केरल के इडुक्की जिले में मुल्लायार और पेरियार नदी के संगम पर स्थित है। इस बांध का निर्माण 1187 से 1895 के बीच जॉन पेनीक्किक द्वारा मद्रास प्रेसिडेंसी के पूर्वी क्षेत्र को जल प्रदान करने के लिए किया गया था। यह बांध की लंबाई 336.85 मीटर और ऊचाई 53.66 मीटर है।
इस DAM का स्वामितत्व, संचालन, और रखरखाव तमिलनाडु के पास है
यह बांध केरल राज्य में स्थित है लेकिन 29 अक्टूबर 1886 में 999 वर्षो के लिए तमिलनाडु को लीज पर दिया गया है।