नाक Nose –
सामान्यतः पुरे दिन हम अपने काम में व्यस्थ रहते है इस व्यस्थता के चलते हमको पता नही चलता कि हम कितनी बार सांस लेने के लिए नाक का प्रयोग करते है। यदि आप कभी भी जानबुझ अपने नाक को 1 मिनट के लिए बंद कर दीजिए तो ऐसा लगेगा कि आप के शरीर में नया जीवन आया है। किसी भी व्यक्ति का सबसे महत्वपूर्ण अंग जिसके द्वारा वह वायु प्रणाली को अंदर खींचता है और जो अशुद्ध वायु को बाहर निकालते है। इसकी सहायता से मनुष्य सुगन्ध और दुर्गन्ध में अन्तर कर पाता है। इसको विभिन्न नामो से जानते है। ब्राह ग्राही अंग,नाक अथवा नासिका, गंध ग्राही संवेदांग, घ्राण ग्राही,घ्राणेन्द्रियाँ(Olfactoreceptors) अंग । मानव शरीर का वह भाग जिसके सहायता से मनुष्य श्वसन क्रिया करता है। आइये इसके बारे में विस्तार से जानते है।
नासागुहा Nostril-
इसको नाक की गुहा के रुप में भी जाना जाता है। यह श्लेष्म झिल्ली के साथ पंक्तिबद्ध होता है जो नाक को नम रखने में मदद करता है। इसका काम होता नाक के माध्यम से जो हवा फेफड़ो तक पहुंचती है उसको गर्म करना।इसके द्वारा आसपास के गंध को भी पहचानते है।
नासिका रन्ध्र(Nosal Chamber)-
नाक के सामने जो दो छिद्र होते है उसे नासिका रन्ध्र कहते है। इन छिद्र के सहारे वायु नाक में प्रवेश होती है। इसे नासा गुहा के नाम से जानते है।
नाक में बाल का काम (Hair work in nose)
नाक के दोनो छिद्र में बाल होते वह श्वसन क्रिया के द्वौरान वायु को छानने का काम करते है।
श्लैष्मिक कला(Mucus membrance)-
यह श्लैष्मिक कला नाक की नासागुहा में स्थित होता है। इसी के द्वारा गंध का पता चलता है। यह सभी गुहाओं की सबसे ऊपरी परत होती है जो शरीर के आन्तरिक अंगो को घेरे रहती है। जिसमे अनेक ग्रन्थिया होती है।
बलगम Mucus –
नाक में जो बलगम बनता है वह श्लैष्मिक कला की ग्रन्थियो में बनता है।
नाक का पर्दा( Nose Septum) –
जब वायु नासा गुहा से अंदर प्रवेश करती है तो यह Nose Septum इसको दो भाग में बाटता है। जब यह एक तरफ हो जाता है या विचलित हो जाता है तो इसे मेडिकल फिल्ड में डेविटेड नसल सेप्टम कहते है। यह बोन और कार्टिलेग का बना होता है। एक्सपर्ट के अनुसार 80 प्रतिशत लोगो का यह सेप्टम विचलती रहता है
एक्यूट साइनस Acute Sinus –
इसे मेडिकल भाषा में साइनोसाटिस कहते है। इसमें रोगी के नाक की हड्डी बढ़ जाती है। यह बैक्टीरियल इन्फेक्शन होता है। जो सांस नली के ऊपरी हिस्से में होता है।
नाक से बदबू आने के कारण Causes of bad Smell nose
साइनसाइटिस-इसके कारण आपके सूघने की क्षमता चली जाता है। जिससे नाक में जलन होता है। जो व्यक्ति इस बिमारी से पीड़ित होता है उसके नाक से डिस्चार्ज निकलात है जिससे उसको बदबू आती है। यह तीन से चार हफ्तो तक चलता है।
मुंह में खाना जमना Food freezing in mouth –
मुंह में खाना चिपकने होने के कारण प्लेक जमने लगता है जिससे मुंह और नाक से बदबू आती है।
कैविटी होने के काऱण Due to cavity
यदि आपके दाँत में कैविटी है तो इस कैविटी के कारण भी बदबूं आपके नाम में आ सकती है।
तंबाकू या धूम्रपान Tobacco or smoking –
जो व्यक्ति इनका सेवन करता है उनको भी नाक से बदबू आती है। क्योकी इनसे निकलने वाला पदार्थ मुंह पेट में चला जाता है।
जब आप मुंह से सांस ले सकते है तो नाक की जरुर त क्यो When you can breathe through your mouth, then why is the nose needed ?
मुंह से सांस लेने पर Breathing through the mouth –
जब कोई व्यक्ति मुंह से सांस लेता है उसके सांस के साथ साथ नाइट्रोजन (नाइट्रोजन79 प्रतिशत), आक्सीजन (21 प्रतिशत) ,और कार्बनडाई आक्साइड(.04 प्रतिशत) तो जाते ही है लेकिन इनके साथ साथ धूल के छोटे छोटे कण या अन्य छोटे छोटे कण भी चले जाते है जो हमारे फेफड़े और गले के लिए दिक्कत खड़ा करते है।
नांक से सांस लेने पर Breathing through the Nose-
जब कोई व्यक्ति नाक से सांस लेता है उसके सांस के साथ साथ नाइट्रोजन (नाइट्रोजन79 प्रतिशत), आक्सीजन (21 प्रतिशत) ,और कार्बनडाई आक्साइड(.04 प्रतिशत) तो जाते ही है लेकिन नाक में जो बाल रहते है उनकी वजह से छोटे छोटे धूल के कण या अन्य छोटे छोटे रुक जाते है। नाक को इस प्रकार डिजाइन किया गया है की यह सीधे फेफड़ो में खुलती है।
ठंड के मौसम में जब कोई व्यक्ति नाक से सांस लेता है तो फेफड़े तक हवा पहुंचते पहुंचते गर्म हो जाती है।
विविध-
नासा मार्ग का पिछला हिस्सा कण्ठ द्वारा के समीप खुलता है।
एनोस्मिया एक ऐसी बिमारी है जिसमे व्यक्ति सूंघने की क्षमता खो देता है।
सायनस सूजन में नाक के अगल बगल दर्द होता है।
नाक रीढ़धारी प्राणियो में पायी जाती है।
क्या आप मेरुरज्जू के बारे में जानते है