This image represent to aseeroid

about the asteroid , vesta, ceres asteroid

क्षुद्रग्रह(Asteroid) –

यह खगोलीय पिंड होते है यह खगोलीय पिंड जब पृथ्वी की कक्षा में प्रवेश करते है तो जलने लगते है तथा पृथ्वी के दिशा में गिरते है तो इसे उल्का कहते है इसकी गति 72 किमी प्रति सेकेण्ड होती है लेकिन जब यह बिना जले धरती पर गिर जाते है तो इन्हे उल्का पिण्ड कहते है। और यदि यह क्षुद्रग्रह पृथ्वी के विपरीत दिशा में गिरता है तो इसे बोलाइट कहते है इसकी गति 12 किमी प्रति सेकेण्ड होती है। और यदि यह बिना जले गिर जाते है तो इसे टेक्टाइट कहते है। ये सभी जो ब्रह्मण्ड में विचरण करते रहते है मंगल तथा वृस्पति ग्रह के बीच में स्थित है। इनका निर्माण बहुस समय पहले या कह सकते है ग्रहो के निर्माण के साथ हुआ था या ग्रहो में विस्फोट के कारण अलग हो गये थे। इसलिए इनका आकार अन्य ग्रहों से छोटे होते है लेकिन उल्का पिण्ड से बड़े होते है। जो कभी कभी पृथ्वी के बहुत नजदीक आ जाते है। इसलिए यह डर बना रहता है कि कब यह पृथ्वी से टकरा जाए यह कहा नही जा सकता है। जो उल्कापिंड आकार में छोटे होते है जब यह पृथ्वी की कक्षा में प्रवेश करते है तो इनकी रफ्तार इतनी अधिक होती है कि घर्षण के कारण ये जलकर नष्ट हो जाते है। और जो आकार में बड़े होते है वो पृथ्वी से टकरा जाते है जिससे पृथ्वी पर काफी हानी होती है ।हमारे सौरमण्डल में बहुत सारे छोटे बड़े उल्का पिण्ड घूम रहे है।

आइये इनके बारे में जानते है-

 

30 जून को अंतर्राष्ट्रीय क्षुद्रग्रह दिवस मनाया जाता है। क्योकि 30 जून 1908 को साइबैरिया के तुंगुस्का नदी के पास asteroid गिरा था। इसलिए इस दिन को क्षुद्रग्रह दिवस के रुप में  मनाया जाता है ताकी लोग क्षुद्रग्रह के बारे में जान सके।

क्षुद्रग्रह को निम्म वर्गीकरण में बाटा गया है-

1-. C वर्ग – इस श्रेणी मे ७५% ज्ञात क्षुद्र ग्रह आते है। ये काफी धुंधले होते है।(albedo ०.०३)। ये सूर्य के जैसे सरचना रखते है लेकिन हाय्ड्रोजन और हिलीयम नही होता है।

2-. S वर्ग 17% चमकदार होते है जो लोहा, निकेल,तथा मैग्नीशियम सीलीकेट के बने होते है।

3- M वर्ग- बाकी चमकदार निकेल तथा लोहे के बने होते है।

आइये जानते कुछ क्षुद्रग्रह के बारे वो कब खोजे गये-
सेरेस क्षुद्रग्रह –

This image represent to ceres

पहला asteroid जिसे सेरेस के नाम से जानते है इसे बौना ग्रह भी कहते है। 1801 में ग्यूसेप पियाजी द्वारा इसे खोजा गया था। इसका व्यास 950 किमी है। जो मंगल तथा बृहस्पति ग्रह के बीच में क्षुद्र ग्रह बेल्ट में सबसे बड़ा क्षुद्र ग्रह है। 2006 से इसे बौना ग्रह कहा जाता है।

क्या आप भारत के पहले म्युजियम के बारे में जानते है 

किसी स्पेसक्राफ्ट द्वारा विजिट किया जाने वाला यह पहला बौना ग्रह है।

यह 1682 दिनो में सूर्य का एक चक्कर लगाता है।

इसकी दूरी 4139900 किमी

वैज्ञानिको के अनुसार सेरेस के नीचे नमकीन पानी का बहुत बड़ा भण्डार है इसलिए इसे ओसियन वर्ड का नाम दिया है।

वेस्टा क्षुद्रग्रह-

इस क्षुद्रग्रह की खोज 1807 ओल्बरस द्वारा खोजा गया था। यह क्षुद्रग्रह बेल्ट का दूसरा सबसे बड़ा क्षुद्रग्रह है। वेस्टा डाइमीटर 525 किलो मीटर है।

6 करोड़ 60 लाख पहले जब एक क्षुद्रग्रह पृथ्वी से टकराया-

मैक्सिको की खाड़ी मे एक क्रेटर के अन्दर मिली एस्ट्रायड की धूल से पता चला कि इस महाविशालकाय अंतरिक्ष चट्टान ने 6.6 करोड़ साल पहले डायनासोर और धरती पर मौजूद 75 प्रतिशत जीव को नष्ट कर दिया था। आप इससे अनुमान लगा सकते है कि यह एस्ट्रायड जहां गिरा था वहां 150 किलोमीटर गड्ढा बन गया था।

क्षुद्रग्रह का पृथ्वी पर गिरने से क्या असर होता है-

Red Rain-

जब asteroid bodies पृथ्वी की कक्षा में पहुचते है तो यह जलने लगते है। जिससे वायुमंडल का टेम्परेचर बढ जाता है। जलने के बाद जो राख बचती है वह रेड रंग की होती है क्योकि यह उल्का पिण्ड मंगल ग्रह के भाग होते जो लाल रंग के होते है। इसलिए इसे रेड रेन कहते है।

पृथ्वी के वजन पर क्या असर होता है-

जब कोई उल्कापिण्ड पृथ्वी पर गिरता है तो पृथ्वी का वजन बढ जता है। जिससे पृथ्वी की गुरुत्वाकर्षण बढ़ जाती है।

पृथ्वी की गति पर क्या असर पड़ता है-

जब कोई उल्कापिण्ड पृथ्वी पर गिरता है या जलकर उसकी राख पृथ्वी पर गिरती है तो इससे पृथ्वी गति धीमी हो जाती है।

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top
The captain who made India the winner of Under 19 World Cup Top ten important point of Fighter movie India vs England second test match result Tableau of Lord Ram’s life consecration ceremony Top batsman who scored double century in test match Ten benefits of Amla, without knowing which you are making the biggest mistake of your life.