विजय दिवस
16 दिसम्बर स्वतंत्रता के बाद भारत के सुनहरे अक्षरो में लिखा गया जिसे शायद कोई भारतीय भुलना चाहेगा। इस यद्ध में भारतीय सेना के 3900 सैनिक शहीद हो गये थे और 9851 सैनिक घायल हो गये थे। उस समय भारतीय थल सेना की बागडोर जनरल मानेकशॉ के हाथ में थी तथा प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी थी जिनको आयरन लेडी के नाम से जाना जाता है। भारतीय सेना के हुंकार के आगे दुश्मन की लगभग 100000 सैनिक हथियार डाल दिये । और दुश्मन हार मान लिया। पूर्वी पाकिस्तान में पाकिस्तानी बलों के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल एएके नियाजी ने भारत के पूर्वी सैन्य कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल जगजीत सिंह अरोड़ा के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया था, जिसके बाद 17 दिसम्बर को 93,000 पाकिस्तानी सैनिकों को युद्धबंदी बनाया गया। जिसके उपलक्ष्य में भारतीय सेना द्वारा 16 दिसम्बर को विजय दिवस के रुप में मनाता है।
बात है 1971 की उस समय पाकिस्तान के दो हिस्से थे एक था पूर्वी पाकिस्तान और दूसरा पश्चमी पाकिस्तान। पूर्वी पाकिस्तान जिसे आज बंग्लादेश के नाम से जानते है। पूर्वी पाकिस्तान में पाकिस्तान बलो के कमांडर जनरल एएके नियाजी थे। जब से पूर्वी पाकिस्तान का कमान्ड पाकिस्तान के हाथ में गया पाकिस्तान की सेना वहां की जनता पर तरह तरह की कष्ट देने लगी लोगों के साथ मारपीट, शोषण, महिलाओं के साथ बलात्कार और खून-खराबा लगातार बढ़ रहा था। इस जुल्म के खिलाफ भारत पूवी पाकिस्तान के बचाव में उतर आया।
कनकशन शब्द का प्रयोग कहा करते है जाने इसके बारे में
पूर्वी पाकिस्तान की आजादी के लिए मुक्ती वाहिनी गठन हुआ जो पाकिस्तानी सेना के अत्याचार का विरोध कर रही थी।
धीर धीरे पाकिस्तान की सेना के खिलाफ अंसतोष बढ़ता गया। यह अंसतोष इतना बढ गया कि यह युद्ध का रुप ले लिया और भारत पर दबाव बढ़ने लगा कि वह हस्तक्षेप करे क्योकि पूर्वी पाकिस्तान के लाखो लोग भारत में शरण ले रहे थे कहा जाता है कि लगभग 10 लाख लोग भारत में शरण ले चुके थे। यह हालत देखकर भारत की प्रधानमंत्री द्वारा भारतीय फौज को युद्ध के लिए तैयार रहने को कहा दूसरी तरफ अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पाकिस्तान पर दबाव बनाने की कोशिश शुरू कर दी थी. तत्कालीन भारतीय थलसेनाध्यक्ष सैम मानेकशॉ की मौजूदगी में अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार हेनरी किसिंजर के साथ हुई एक बैठक में इंदिरा ने साफ कर दिया कि अगर अमेरिका पाकिस्तान को नहीं रोकेगा तो भारत पाकिस्तान पर सैनिक कार्रवाई के लिए मजबूर होगा.
पाकिस्तान द्वारा धमकी –
नवम्बर के आखरी सप्ताह में पाकिस्तान की वायु सेना भारतीय सीमा दस्तक देने लगी। भारत की प्रधानमंत्री द्वारा इसका एतराज करने पर पाकिस्तान की राष्ट्रपति याहिया ने 10 दिन के भीतर युद्ध की धमकी दी गयी।
पाकिस्तान द्वारा भारत पर आक्रमण –
3 दिसंबर, 1971 को इंदिरा गांधी तत्कालीन कलकत्ता में एक जनसभा को संबोधित कर रही थीं. इसी दिन शाम के वक्त पाकिस्तानी वायुसेना के विमानों ने भारतीय वायुसीमा को पार करके पठानकोट, श्रीनगर, अमृतसर, जोधपुर, आगरा आदि सैनिक हवाई अड्डों पर बम गिराना शुरू कर दिया. इंदिरा गांधी ने उसी वक्त दिल्ली लौटकर मंत्रिमंडल की आपात बैठक की.
इंदिरा गांधी द्वारा आदेश-
इंदिरा गांदी भारतीय सेना ढाका तरफ जाने का आदेश दिया तथा भारतीय वायु सेना पाकिस्तान पर बम बरसाना शुरु कर दिया
इसी बीच भारतीय नौसेना द्वारा ऑपरेशन ट्राईडेन्ट शुरु किया जो बंगाल की खाड़ी में पाकिस्तान नौसेना को टक्कर दे रही थी। जल्दी ही भारतीय नौसेना द्वारा 5 दिसम्बर 1971 को कराची बंदरगाह पर बमबारी कर पाकिस्तानी नौसेना के मुख्यालय को तबाह कर दिया
इंदिरा गांधी द्वारा बंग्लादेश की घोषणा
-इंदिरा गांधी द्वारा बंग्लादेश को नया देश बनाने की घोषणा किया। वह अब पाकिस्तान का हिस्सा नही होगा अब बंग्लादेश एक स्वतंत्र राष्ट्र होगा।
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भारतीय सेना का ढाका पर हमला-
भारती सेना द्वारा पूर्वी पाकिस्तान की ढाका मुख्यालय पर हमला किया गया जहां पर पाकिस्तान बड़े अधिकारी मीटिंग करने के लिए एकत्रित हुए थे।इस हमले से पाकिस्तान पूरी तरह से हिल गया।और जनरल नियाजी द्वारा युद्ध विराम का प्रस्ताव भेजा गया। परिणाम स्वरुप 16 दिसम्बर को पाकिस्तन के 93000 सैनिको ने आत्मसमर्पण कर दिया ।
इस प्रकार 16 दिसम्बर भारत द्वारा पाकिस्तान पर ऐतिहासिक विजय हासिल हुआ।