ब्लड(Blood)-
शरीर में किसी भी स्थान पर यदि कही कट जाता है तो उस कटे हुए स्थान पर जो लाल रंग का द्रव निकलता है उस द्रव को Blood कहा जाता है। हिन्दी में इसके खून या रुधिर के नाम से जाना जाता है। यह रुधिर वह तरल पदार्थ होता है जो पुरे शरीर में उत्तको को आक्सीजन पहुँचाने का काम करता है इसके अलावा यह रक्त पाचिस भोजन को छोटी आँत से शरीर के अन्य भागो में ले जाता है। जिससे पुरा शरीर एक दुसरे से कनेक्ट रहता है। यह शरीर में अपशिष्ट पदार्थो को बाहर निकालने के लिए उनका परिवहन भी करता है। इसको हम प्राकृतिक कोलाइड भी कहते है। इसके अलावा इसको और भी नाम से जाना जाता है जैसे रुधिर, खून, रक्त, लहू
रुधिर का निर्माण Formation of Blood –
यदि मार्डन मेडिसिन की बात करे तो ब्लड का निर्माण शरीर हड्डी के अस्थिमज्जमा(Bone Marrow) में होता है वही यदि हम आयुर्वेद की बात किया जाय तो बल्ड का निर्माण यकृत और प्लीहा द्वारा होता है।
आइये जानते है रुधिर के निर्माण में किन किन तत्वो का योगदान है।
प्लाज्मा Plasma –
यह पुरे रुधिर का 60 प्रतिशत भाग होता है जो पीले रंग के द्रव अवस्था मे होता है ।इस प्लाज्मा में 90 प्रतिशत भाग जल होता है 7 प्रतिशत प्रोटीन होता है 0.9 प्रतिशत लवण और 0.1 प्रतिशत ग्लोकोज होता है।
रुधिर को जमाने के लिए इस प्लाज्मा में फाइब्रिनोजेन और प्रोक्षोम्बीन पाया जाता है। इसके अलावा इसमे एन्टीबाडी पाया जाता है।
रुधिराणु ( Corpuscle)-
यह रुधिर का ठोस पार्ट होता है जो पुरे रुधिर का 40 प्रतिशत होता है जिसमे RBC, WBC and Platelets शामिल होता है।
RBC( Red blood Corpuscle)-
इसको इरिथ्रोसाइट के नाम से जानते है।यह रक्त की सबसे प्रमुख कोशिका है। जो पूरे रुधिराणु का 99 प्रतिशत भाग होता है। इसकी औसत आय़ु 120 दिन होती है। इसकी खोज एंटोनी लुवेन हॉक ने की थी। इसे मानव शरीर की सबसे छोटी कोशिका भी कहते है। इसका निर्माण अस्थिमाज्जा में होता है। इसमे केंद्र उपस्थित होता है जिसमे हिमोग्लोबिन पाया जाता है। इसको मापने के लिए हमिसिमोमिट्र का उपयोग किया जाता है। इसकी कमी से एनीमिया बिमारी होती है और इसकी अधिकता से पॉलीसिथोमिया वेरा बिमारी होती है।
WBC( White blood Corpuscle) –
WBC को श्वेत रक्त कोशिका के नाम से जानते है इसका जीवन काल 4 दिन होता है। इसके अलावा इसको ल्यूकोसाइट के नाम से जानते है। इसका काम होता है हमारे शरीर को संक्रमण से बचाना और चोट लगने पर जल्द से जल्द ठीक करने में मदद करना। श्वते रक्त कोशिका को अपने स्तर से अधिक बनना ल्यूकेमिया कहलाता है जिसे ब्लड कैंसर के नाम से जानते है।
प्लेटलेट्स(Platelet)-
प्लेटलेट्स शरीर का ऐसा भाग होता है जो शरीर में कही भी कटने पर खून को बहने से रोकती है। ये हमारे शरीर में हमेशा बनता रहता है। क्योकि यह कैंसर,सर्जरी,क्रोनिक बिमारियों के समय इसकी अधिक आवश्यकत होती है। यदि किसी कारणवस यह शरीर कम बनता है या अधिक बनने लगता है तो शरीर में कई बिमारीयां होने लगती है। नार्मल रुप प्लेटलेट्स की संख्या 150,000 से 450,000 के बीच होना चाहिए। इसका जीवन काल 7 दिन होता है।
150,000 से कम होने पर थ्रोम्बोसाइटोपेनिया कहलाता है और 450,000 से अधिक होने पर थ्रोम्बोसाइटोसिस कहलाती है।
रक्त का थक्का बनना(Blood Clotting)-
शरीर में कही भी कट जाता है तो रक्त का थक्का बनना शरीर के लिए बहुत ही जरुरी है क्योकि यदि रक्त का थक्का नही बनेंगा तो शरीर से सारा रक्त बाहर निकल जायेगा जिससे लोगो की मृत्यु हो जायेगी। शरीर में थक्का बनेने के लिए विटामिन K जिम्मेदार होता है। जब रक्त जमता है तो इस प्रासेस को कास्केडिंग प्रासेस कहते है। रक्त को जमने में 4 से 5 मिनट का समय लगता है।
यह रक्त का थक्का बनना शरीर के उपर(मतलब कही कटने पर) बहुत ही आवश्यक है लेकिन यही रक्त का थक्का बनना यदि शरीर के भीतर किसी कोशिका में हो जाता तो यह बहुत ही खतरनाक स्थित ले लेता है जिससे मनुष्य को ब्रेन स्टोक,हार्ट अटैक,हार्ट स्ट्रोक हो सकता है।
रक्त के प्रकार(Blood Group)-
किसी भी जीव का रक्त लाला होता है चाहे वह मनुष्य,पशु या पक्षी हो लेकिन जब हम इस रक्त का विश्लेषण विस्तार करते है तो यह रक्त मुख्य रुप से चार प्रकार के होते है
A ,B,AB, और O.
जैसा कि हम जानते है कि ये ब्लड ग्रुप (A,B,AB And O) सभी लोगो को अपने माता-पिता से विरासत में मिलते है। यह विरासत में मिले रक्त दो प्रकार के होते है जिसमें से एक एंटीजन और एक एंटीबाडी होता है। यदि एंटीजन A रक्त का प्रकार है तो व्यक्ति का रक्त A होगा और एंटीजन B है तो व्यक्ति का रक्त ग्रुप B होगा। और यदि कोई भी एंटीजन नही मौजूद हो तो व्यक्ति का ब्लड ग्रुप O होगा।
Blood Group A-
इस ब्लड ग्रुप में A एंटीजन होता है और B एंटीबाडी होता है।
Blood Group B
इस ब्लड ग्रुप में एंटीजन B होता है और एंटीबाडी A होता है।
Blood Group AB
इसमे कोई एंटीजन नही होता है। लेकिन प्लाज्मा में एंटीजन और एंटीबॉडी दोनो मौजूद रहती है।
इन सबके अलावा और भी ब्लड ग्रुप लोगो में मौजुद है जैसे-
गोल्डेन ब्लड (Golden Blood Group)-
यह दुनिया का सबसे दुर्लभ रक्त है। इसको Rh Null Blood Group के नाम से जानते है। यह खून बहुत ही बेसकीमती होता है क्योकि इसे किसी भी ब्लड ग्रुप पर चढ़ाया जा सकता है जिससे वह आसानी से मैच कर जाता है। इस ब्लड ग्रुप में किसी भी प्रकार का एंटीजन नही पाया जाता है। रिसर्च के अनुसार पुरे दुनिया में अब तक 50 से भी कम लोगो के पास यह ब्लड है। लेकिन किसी से ले नही सकते है
बॉम्बे बल्ड ग्रुप(Bombay Blood Group)-
इस रक्त की खोज 1952 में मंबई में डॉ.वाई.एम.भेंडे के द्वारा किया गया था।इसको hh भी कहा जाता है। यह भारत में करीब 10 हजार लोगो में से एक में पाया जाता है। इस ग्रुप के लोगो में शुगर मालिक्यूल्स नही बन पाते है, इसलिए इसमे कैपिटल एच(H) एंटीजन नही होता है। और वह किसी भी ब्लड ग्रुप में नही आते है। लेकिन उनके प्लाज्मा में एंटीबाडी A,B, और H होते है। इन्हे शारीरिक रुप से कोई दिक्कत नही होती है।
जब बच्चा गर्भ में होता है तब ब्लड का निर्माण कहां होता है-
जब बच्चा गर्भ में होता है तब ब्लड का निर्माण प्लीहा/यकृत/लीवर/भ्रूण में होता है।
तरल संयोजी उत्तक(liquid Connective tissue)-
तरल संयोजी उत्तक प्लाज्मा और रुधिर के कणों से मिलकर बना होता है। इसका काम होता जब बच्चा भ्रुण में होता है तब शरीर को आकृति प्रदान करना। इसके अलावा यह हृदय फेफड़ो को सुरक्षित रखने का काम करता है।
मध्यत्वचा उत्तक(Mesodermal Tissue) –
यह एन्डोडर्म और एकोड्रम के बीच मे मौजुद होता है। जिसके द्वारा हृदय,रक्त, हड्डीयो के ऊपर मौजुद मांसपेशिया बनती है।
बल्ड का रंग कौन सा होता है what is colour of blood –
बल्ड का रंग लाल होता है जिसका कारण आरबीसी होता जिसके अंदर हीमोग्लोबिन होता है लेकिन हीमोग्लोबिन का कलर बैंगनी होता है।
ब्लड का रंग लाल क्यो होता है Why blood colour is red –
जैसा की हम जानते है हीमोग्लोबिन पुरे शरीर में बहता है लेकिन जब श्वास नली के माध्यम से आक्सीजन फेफड़े में प्रवेश करती है तो यही पर हीमोग्लोबिन(H6) और आक्सीजन(O2) एक दूसरे मिल जाते है जिससे आक्सीहीमोग्लोबिन का निर्माण होता है जिससे ब्लड का रंग लाल हो जाता है।
H6 + O2 H6O2
मानव शरीर में हीमोग्लोबिन की मात्रा पुरुष और महिला में अलग अलग होता है। पुरुष में प्रति 100ml में 14-16gm होता है और महिला में प्रति 100ml में 10-12gm होता है।01
मानव शरीर में जो आयरन पाया जाता है वह किस अवस्था में होता है-
मानव शरीर में जो आयरन पाया जाता है वह दो अवस्था में पाया जाता है
1-Ferrous(Fe+2) 2- Ferric (Fe+3)
प्लीहा या तिल्ली(Spleen) –
यह शरीर का एक प्रकार अंग है जो सभी रीढ़धारी प्राणीयो मे पाया जाता है। यह पुरानी लाल रक्त कोशिकाओं को नष्ट करने का कार्य करता है। इसलिए प्लीहा को बल्ड का कब्रिस्तान भी कहते है
यह गर्भ की प्रारंभिक अवस्था में रक्तकणों का निर्माण करता है। इसलिए इसे ब्लड बैंक भी कहते है।
ब्लड का काम Work of Blood-
जब तक व्यक्ति के शरीर में जान है तबतक रुधिर का प्रवाह पुरे शरीर में होता है यह रुधिर शरीर में विभिन्न काम करते है जैसे- ताप पर नियंत्रण, पोषक पदार्थ का परिवहन, गैसो का परिवहन, उत्सर्जी पदार्थो का परिवहन।
विविध Various –
डेगू में बिमारी में प्लेटलेट्स कम हो जाता है।
खुन को थक्का बनाने में फाइब्रिनोजेन और प्रोक्षोम्बीन का प्रयोग किया जाता है।
रुधिराणु के अंदर RBC,WBC और Platelet में आकार सबसे बड़ा Platelet होता है और इनकी सख्या RBC और WBC से कम होती है। और सबसे अधिक संख्या आरबीसी की होती है।
RBC को इरिथ्रोसाइट के नाम से जानते है।
खुन थक्का जमने से रोकने के लिए हेपेरीन का प्रयोग किया जाता है। यह प्लाज्मा में पाया जाता है।
रक्त परिसंचरण की खोज विलियम हार्वे द्वारा किया गया था।
ब्लड प्लीहा या तिल्ली में स्टोर होता है।
बिमारीयो से लड़ने के लिए शरीर में एंटीबाडी, WBC, और लसीका होतीहै।
ब्लड के अध्ययन को सेरोलाजी अथवा हेमेटोलॉजी कहते है।
ब्लड एक संयोजी उत्तक है।(संयोजी उत्तक वह होता है जो पुरे शरीर को कनेक्ट करके रखता है।)
तब व्यक्ति को मलेरिया नाम की बिमारी होती है तो उसका स्पलीन(प्लीहा) खराब होने लगता है।
शरीर में ब्लड की मात्रा कुल वजन का 7 प्रतिशत होता है।
शरीर में बल्ड की मात्रा पुरुष में 5 से 6 लीटर होता है जबकि महिलाओं में 4 से 5 लीटर होता है।
हीमोग्लोबिन आयरन पाया जाता है। आयरन की कमी से आपके ब्लड में RBC का निर्माण नही होता है।
आयरन की कमी से होने वाली बिमारी को एनीमिया कहते है।
लग्स का काम होता है बल्ड में आक्सीजन को डालना और कार्बन डाई आक्साइड को बाहर निकालना।
मेरुरज्जू के बारे में जाने What is the spinal cord