पैरोल Parole-
इस शब्द का इस्तेमाल उस व्यक्ति के लिए किया जाता है जो किसी कारण वस जेल में लम्बे समय से सजा काट रहा होता है और सजा के बीच में कुछ दिन के लिए बाहर आना चाहता है। तथा समय पुरा होने के बाद फिर से उसे जेल में जाना पड़ता है। पैरोल गंभीर अपराध में भी अपराधियो को मिलता है।
पैरोल दो प्रकार के होते है। Type of Parole
कस्टडी पैरोल custody parole-
यह अपराधी को तब दिया जाता है जब अपराधी के घर में किसी की मृत्यु हो जाती है या कोई बिमार हो जाता है या अपराधी के घर में किसी की शादी होती है। तो अपराधी को कस्टडी पैरोल दिया जाता है।
इस दौरान जब अपराधी जेल से बाहर जाता है तो उसके साथ पुलिस भी साथ में जाती है यह पैरोल अधिकतम 6 घंटे का होता है।
रेग्युलर पैरोल Regular Parole-
यह पैरोल उस अपराधी को दिया जाता है जो एक साल की सजा काट चुका होता है। यह उन अपराधियो को नही दिया जाता है जो अंडर ट्रायल में हो।इसके अंतर्गत अपराधी को 1 महीने तक पैरोल दिया जा सकता है। इसके पाने के लिए अपराधी के लिए निम्न शर्त होने चाहिए –
- व्यक्ति के परिवार में शादी, दुर्घटना या मृत्यु हुयी हो।
- अपराधी के पत्नी की डिलीवरी की दशा में
- अपराधी के परिवार द्वारा विशेष अनुमति याचिका दायर करना
पैरोल के लिए मुजरिम कब अर्जी दे सकता है-
पैरोल की अर्जी मुजरिम द्वारा तभी दाखिल की जा सकती है जब मुजरिम एक साल की सजा काट चुका हो।
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विविध-
इस शब्द को फ्रांसीसी वाक्यांश जे डोने मा पैरोल से लिया गया है। इस शब्द का मतलब होता है। मैं अपना वाक्य देता हूँ।
यह भारत में जेल अधिनियम 1894 और कैदी अधिनियम 1900 के तहत बनाये गये द्वारा प्रशासित किये जाते है।
भारत में पैरोल सभी राज्य के लिए अपने नियम है।
पैरोल प्राप्त करने के लिए कैदी को कम से कम एक साल सजा काटना चाहिए।
कैदी का व्याहार अच्छा होना चाहिए।
पैरोल एक से अधिक बार दिया जा सकता है।
पैरोल प्राप्त करने के 6 महीने के बाद ही पैरोल के लिए दुबारा आवेदन कर सकते है।
आपातकालीन परिस्थितियों में ही कोई अपराधी 6 महीने के अंदर पैरोल का आवेदन कर सकता है।
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