IPO
IPO को इनिशियल पब्लिक ऑफरिंग( सार्वजनिक प्रस्ताव) के नाम से जानते है।
जब किसी कंपनी को धन की आवश्यकता होती है तो उस धन को प्राप्त करने के लिए उसके पास दो रास्ते होते है पहला रास्ता या तो वह बैंक के पास लोन के लिए जाये और दूसरा रास्ता वह अपना शेयर के द्वारा जनता से पैसे उठाये।
जब कोई कंपनी अपने शेयर को पहली बार जनता के लिए जारी करती है तो उसे आईपीओ अथवा सार्वजनिक प्रस्ताव कहा जाता है।
IPO जारी कौन करता है-
यह सामान्यतः छोटी कंपनिया अथवा नई कंपनियो द्वारा जारी किया जाता है। क्योकि छोटी कंपनियो को अपने व्यापार को बढ़ाने के लिए पूँजी की आवश्यकता होती है।
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IPO से प्राप्त धन का उपयोग-
IPO के माध्यम से जो धनराशी मिलती है उसका प्रयोग
कंपनी के विस्तार में
नई संपत्ती खरीदने में
कंपनी पर कर्ज है तो उसको हटाने के लिए
कंपनी आईपीओ कैसे ऑफर करती है
सार्वजनिक होने से पहले एक कंपनी आईपीओ को संभालने के लिए एक निवेश करने वालें बैंक को काम पर रखती है। निवेश करने वाला बैंक और कंपनी हामीदारी समझौते में आईपीओ के वित्तीय विवरण का काम करती है। बाद में, हामीदारी करार के साथ, वे एसईसी के साथ पंजीकरण विवरण को दर्ज करते हैं। एसईसी की जांच में सारी जानकारी की जांच की जाती है और अगर सही पाई जाती है, तो यह आईपीओ की घोषणा करने की तारीख की अनुमति देती है।
IPO के लिए सेबी के नियम-
IPO लाने वाली हर कंपनी को सेबी की समीक्षा के लिए मसौदा प्रस्ताव जमा करना आवश्यक होता है।सेबी कभी किसी इश्यू की सिफारिश नहीं करती है और न ही किसी कम्पनी की ज़िम्मेदारी लेती है। यह किसी योजना या परियोजना के प्रस्ताव में दिये गए बयान की शुद्धता या वित्तीय सुदृढ़ता संबन्धी प्रस्ताव दस्तावेज़ों में अपनी राय भी व्यक्त नहीं करती है।
सेबी के निगरानी पत्र की वैधता केवल तीन महीने की होती है। तीन महीने के भीतर ही कंपनी को अपना इश्यू लाना होता है।