About the Ear
कान Ear को हम श्रवणोसंतुलन के नाम से जानते है। कान किसी भी जीव का बहुत ही संवेदशील अंग है क्योकि इसकी सहायता से लोगो को सुनने में मदद मिलती है जब व्यक्ति सुननता है तो आगे की प्लानिंग करता है। इसलिए कान हमारे पांच ज्ञानेद्रियो (कान,आँख, नाक,जीभ, और त्वचा) की पहली सीढ़ी होती है। इसका विकास जब बच्चा माँ के पेट में रहता है तभी से इसका अनुभव करने लगता है। यह सभी के शरीर में दो पाया जाता है। इन दोनो कानो से लोग सुनते है और अपना संतुलन बनाते है क्योकि जब व्यक्ति किसी भाषा को सुनता है तो उस भाषा में या अन्य भाषा जबाव देने की कोशिश करता है। यदि किसी भी व्यक्ति में सुनने की क्षमता न रहे या किसी कारण वश वह अपनी सुनने की क्षमता खो देता है तो वह कोई भी काम करने में अधिक समय लेगा है क्योकि अब वह इशारो की भाषा में बात करेगा। आइये ह्युमन बाडी के इस भाग में पांचो ज्ञानेद्रियो में से एक कान के बारे में जानते है।
कान क्या होता है What is ear –
कान हमारे शरीर का बहुत ही महत्वपूर्ण अंग है क्योकि इसकी सहायता से हम ध्वनि को सुनते है और अपना संतुलन बनाते है। इसलिए इसे हम पांच ज्ञानेद्रियो में से एक मानते है।
कान के कितने भाग है How many part of ear-
हमारा कान तीन भागो से मिलकर बना है।
बाह्य कर्ण(External Ear) –
यह कान कान का सबसे बाहरी हिस्सा है। जो आवाज की तरंगो को पर्दे तक पहुंचाने का काम करती है।
इसके भी तीन भाग होते है–
कर्ण पल्लव(Ear Pinna)
यह कार्टिलेज से बना होता है जो त्वचा से ढका होता है। कान का सिर्फ यही भाग है जो दिखता है। इसका काम होता है साउन्ड को अंदर पर्दे तक पहुचाना। इसकी वजह से ध्वनि तरंगे सही दिशा मे जाती है।
बाह्य कर्ण मीटस(Auditory Canal)
इसकी लम्बाई लगभग 2.5 सेंटीमीटर होता है। पीना के द्वारा एक बार साउन्ड प्रवेश कर गया तो वह बाह्रा कर्ण मीटस से होते हुए टेम्पेनिक झिल्ली में चली जाती है। यह बाह्य कर्ण मीटस पीन्ना से ध्वनी तरंगे कर्ण पटह तक पहुँचाने का काम करती है। के बीच
कर्ण पटह(Eardrum)
यह बाह्य कर्ण का अंतिम भाग होता है जो सर्कुलर होता है इसके साथ साथ मुख्य भाग भी होता है और सेन्सटिव भाग होता है। इसके अलावा मध्य कर्ण का शुरुआती भाग होता है।
मध्य कर्ण(Middle Ear)-
यहां बाडी की सबसे छोटी बोन पायी जाती है जो एक दुसरे से जुड़ी होती है। जिसको आसीकल कहते है। मध्य कर्ण यूस्टेशियन ट्यूब द्वारा नाक, गले को जोड़ता है। यूस्टेशियन ट्यूब को ई यन टी(ईयर नोज थ्रोट) के नाम से जानते है। इसीलिए यदि गले में दिक्कत होती है नाक,कान सभी प्रभावित होते है।
Malleus-
Malleus शब्द लैटिव वर्ड Mallet से बना है। इसको हैमर के नाम से भी जानते है। इसका एक हिस्सा ईयर ड्रम से कनेक्ट होता है दूसरा हिस्सा इन्कस से कनेक्ट होता है। इसका काम होता है साउन्ड को ईयरड्रम से इनकस तक ट्रांसफर करना।
Incus-
इसको हम Anvil के नाम से भी जानते है यह वाइब्रेशन को मालेकस से प्राप्त करता है फिर स्टेप्स तक पहुँचाने का काम करता है।
Stapes
इसको हम Stirrup के नाम से जानते है। जो शरीर की सबसे छोटी हड्डी होती है। यह आसिकल्स का तीसरा बोन होता है। जिसकी लम्बाई 2 से 3 mm होती है।
अन्तः कर्ण(Internal Ear)-
इसको लैंबरंध भी कहते है इसकी आंतरिक संरचना शंखनुमा होती है। इसमें एक प्रकार का द्रव भरा रहता है। यह आवाज की कंपनो को तंत्रिकाओ के संकेतो में बदल देता है। यह संकेत को दिमाग तक पहुँचाने के लिए आठवीं मस्तिष्क तंत्रिका का प्रयोग करता है।
इसके दो पार्ट होते है
1-Bony labyrinth-
यह टेम्पोरल बोन में एक कैवटि है जो तीन भागो में बटा है
- The vestibule
- The Semicircular Canals
- The Cochlea
2- Membranous Labyrinth –
इसमे इन्डोलिफ नामक द्रव भरा होता है जो विभिन्न चार भागो में बटा होता है।
- The Semicircular Ducts
- Two Saclike Structures
- The Saccule
इसके अलावा कान Ear के औऱ भी विभिन्न पार्ट होते है जो ध्वनि को सुनने में मदद करते है। जैसे-
- Superior crus
- Inferior crus
- Helix
- Concha
- Tragus
- Antihelix
- Antitragus
- Lobule
विविध-
मनुष्य के शरीर की सबसे छोटी हड्डी कान में पाया जाता है। जिसको स्टेपीज के नाम से जानते है।
कान में तीन तरह की हड्डी पायी जाती है।
इंसान का कान 20 से 20,000 हर्टज की फ्रीकवेन्सी को सुन सकता है।
हमारा कान 2000 से 4000 हर्टज की फ्रीकवेन्सी को कैंसल कर देती है क्योकि यह दर्द का एहसास कराता है।
Cochlea इसका काम होता है जिस वेब को ब्रेन समझ सके उसको इलेक्ट्रिकल इम्पल्स में बदलना है।
Auditory नर्व नर्व फाइबर का बंडल होता है।जो इनर ईयर और ब्रेन के बीच में सूचना को ले जाने का काम करता है।