EPFO -Employees Provident Fund Organisation( कर्मचारी भविष्य निधि संगठन)
ईपीएफ हर उस व्यक्ति के लिए आवश्यक है जो व्यक्ति नौकरी करता है। यह हर कंपनी में अनिवार्य रुप से लागू होता है। कि वह इस योजना का लाभ अपने कर्मचारियो को प्रदान करे। ईपीएफ के द्वारा जो धन प्राप्त होता है उसके द्वारा व्यक्ति अपनी आवश्यकता को पूरा करता है। इस समय देश में 4 करोड़ से अधिक लोग EPF खाता धारक है। जिनके खातो की निगररानी कर्मचारी भविष्य निधि संगठन(EPFO) द्वारा किया जाता है।
आइये इसके बारे में जानते है-
इसका मुख्य कार्यालय दिल्ली में है। इसकी स्थापना 1952 में कर्मचारी भविष्य निधि और प्रावधान अधिनियम १९५२ के अंतर्गत इस संगठन की स्थापना हुई | 14 मार्च 1952 में यह प्रभाव में आया।
इसकी अध्यक्षता भारत के केन्द्रीय श्रम मंत्री करते है।
EPF (Employees Provident Fund) में पैसा आता है कहां से –
जब कोई कर्मचारी कही नौकरी करता है तो उसके सेलरी का 12.5 प्रतिशत इसमें जमा होता है और इतना ही पैसा कंपनी द्वारा किया जाता है।
इस पैसे पर 8.5 प्रतिशत की दर से ब्याज मिलता है।
EPF का पैसा कब प्राप्त होता है–
इसका हकदार बनने के लिए एक साल तक किसी कंपनी या सरकारी द्वारा नियुक्त किये जाने पर काम करना होता है। एक साल में 240 दिन का काम पूरा करना होता है।
नियम के अनुसार यह पैसा तब आप प्राप्त कर सकते है जब आप सेवानिवृत्त होते है लेकिन कुछ और भी केशो में इपीएफ का पैसा प्राप्त कर सकते है लेकिन पूरा इपीएफ का पूरा पैसा नही निकाल सकते है। जिन जरुरी आवश्यकताओं में पैसा निकाल सकते है वे निम्न प्रकार है-
अपना या परिवार के इलाज के लिए आप यह पैसा निकाल सकते है।
अपने बच्चो के शिक्षा के लिए यह पैसा निकाल सकते है। अपनी नौकरी के दौरान यह पैसा तीन बार निकाल सकते है।
हाउस लोन को चुकाने के लिए निकाल सकते है।
जमीन खरीदने के लिए निकाल सकते है।
EPF पर टैक्स कब लगता है
जब कर्मचारी 5 साल से कम का योगदान दिया है और धारा 80 के तहत कर लाभ प्राप्त किया है तो निकाले गए पीएफ पर पिछले चार साल के औसल टैक्स ब्रैकेट स्लैब के अनुसार टैक्स लगेगा।
कर्मचारी इपीएफ में पैसा कटवाने से मना कर सकता है-
हाँ, यदि कर्मचारी की सेलरी 15000 रुपये प्रति माह से अधिक है तो ऐसा कर्मचारी कर सकता है।