Periodic table (आवर्त सारणी)-
आवर्त सारणी में तत्वो को उनकी विशेषता के आधार पर व्यवस्थित किया गया है ये तत्वो परमाणु क्रमांक के बढ़ते क्रम में सजाये गये है इन तत्वो को जिस रो तथा कालम में सजाया गया है उनको आवर्त तथा वर्ग के नाम से जानते है। इस Periodic table में अभी तक कुल 118 तत्वो को शामिल किया गया है
आवर्त सारणी की धारणा-
आवर्त सारणी की धारणा समय समय पर विभिन्न वैज्ञानिको द्वारा दिया गया है आइये जानते कौन कौन से लोगो ने आवर्त सारणी की धारणा दी है
Lavoisier (लेवोजियर)-
इनका पुरा नाम एन्टोनिए लाउरेन्ट लेवोजियर है ये फ्रांस के रहने वाले थे। इनको आधुनिक रासायन विज्ञान का जनक माना जाता है। इन्होने सर्वप्रथम यह सिद्ध किया की वायु के मुख्य घटक ऑक्सीजन और नाइट्रोजन है। इसके अलावा इन्होने ही तत्व को मेटल और नान मेटल में क्लासीफाइड किया था।
Dalton’s Atomic Theory(डाल्टन का परमाणु सिद्धान्त)-
इनका पुरा नाम जॉन डॉल्टन है शुरु शुरु में ये अपनी जीविका चलाने के लिए अध्यापक का काम करते थे। 1808 ई.वी. में इनके द्वारा परमाणु का सिद्धान्त प्रस्तुत किया गया जो द्रव्यों के अध्ययन के लिए महत्वपूर्ण सिद्धान्त साबित हुआ । डाल्टन द्वारा जो सिद्धान्त दिया गया वह इस प्रकार है –
सभी द्रव्य चाहे तत्व, यौगिक या मिश्रण हो सभी सूक्ष्म कणों से मिलकर बने होते है जिनको परमाणु कहा जाता है।
डाल्टन के अनुसार-
किसी भी परमाणु को विभाजित नही किया जा सकता है। लेकिन परमाणु को प्रोटान, इलेक्ट्रान, न्युट्रान में आगे चल विभाजित किया गया।
इनके अनुसार दो तत्वो को द्रव्यमान तथा आकार भिन्न भिन्न होते है लेकिन जब समभारिको की खोज के बाद भिन्न भिन्न तत्वो के द्रव्यमान और आकर समान हो सकते है।
गौ लुसैक के सिद्धान्त को यह नही समझा सका।
तत्व में उपस्थित परमाणु के बीच लगने वाले प्रकृति बल को समझा ना सका।
परमाणु न तो उत्पन्न किया जा सकता है न ही नष्ट किया जा सकता है।
Dobereiner’s Triad (डोबरेनर ट्राइयड )
डोबरेनर एक जर्मन वैज्ञानिक थे जिनका पुरा नाम जोहान वोल्फगैंग डोबेनेनर है। इनके समय 30 तत्व ज्ञात थे जिसको रासायनिक गुणधर्मो, परमाणु द्रव्यमान के आधार पर व्यवस्थित किया था।
डोबरेनर के अनुसार
जब हम तीन तत्वो को उनके परमाणु द्रव्यामान के अनुसार रखते है तो बीच का जो तत्व होता उसका परमाणु द्रव्यमान अन्य दो तत्वो के परमाणु द्रव्यमान के औसत के बराबर होता है।
ट्रायड्स क्यो कहा-
डोबरेनर ने तीन तत्व को देखा जिनके भौतिक तथा रासायनिक गुण समान थे आगे जो तत्व ज्ञात थे उनके लिए यह नियम फालो करता था कुछ को छोड़ कर जिससे इस व्यवस्था को इन्होने ट्रायड्स नाम दिया था
पहली बार इन्होने किन तत्वो के लिए ट्रायड्स बनाया-
डोबरेनर द्वारा 4 ट्रायड्स दिया गया था जो निम्म प्रकार है
क्षार धातुओ (Alkali Metal ) के लिए जो पीरीयाडिक टेबल के पहले ग्रुप में रहते है
1-जिसमे इन्होने लीथीयम,सोडियम और पोटेशियम के रासायनिक गुण समान है
Element | Symbol | Atomic Mass |
Lithium | Li | 6.9 u |
Sodium | Na | 23.0 u |
Potassium | K | 39.0 u |
2-कैल्शियम, स्ट्रोटिंयम और ब्रेरियम समान रासायनिक गुणधर्म होते है जो त्रिक का नियम बनाते है
Element | Symbol | Atomic Mass |
Calcium | Ca | 40.1 u |
Strontium | Sr | 87.6 u
(88.7 u) |
Barium | Ba | 137.3 u |
3- क्लोरीन, ब्रोमीन एवं आयोडीन औ भी त्रिक का निर्माण करते है जिसे हैलोजन ग्रुप भी कहते है
Element | Symbol | Atomic Mass |
Chlorine | Cl | 35.5 u |
Bromine | Br | 79.9 u
(81.12u) |
Iodine | I | 126.9 u |
4-सल्फर, सेलेनियम औऱ टेल्युरियम भी त्रिक का निर्माण करते है जो आक्सीजन फेमली से बिलांग करते है।
Element | Symbol | Atomic Mass |
Sulphur | S | 32.06 u |
Selenium | Se | 78.96 u
79.83 u |
Tellurium | Te | 127.60 u |
डोबरेनर ने 1817 में ज्ञात तत्वो की व्याख्या करने की कोशिश की थी और 1829 में इसे जर्मन की प्रत्रिका में प्रकाशित किया था।
न्यूलैण्ड के अष्टक नियम-
न्यूलैण्ड को जॉन न्यूलैंड्स के नाम से जानते है यह एक अंग्रेज वैज्ञानिक थे। इन्होने कहा कि यदि तत्वो को उनके परमाणु भार के बढ़ते हुए क्रम में व्यवस्थित किया जाए। तो प्रत्येक आठवें तत्व के गुण पहले तत्व के गुणं से समानता रखता है।
न्यूलैण्ड के अष्टक नियम का दोष-
इनका अष्टक नियम केवल कैल्सियम से अधिक परमाणु भार वाले तत्व पर लागू नही होता था ।
इन्होने यह मान लिया था कि प्रकृति में केवल 56 तत्व ही विद्यामान है। और भविष्य में किसी और तत्व खोज नही होगी।
सभी तत्व को समावेश करने के उद्देश्य से न्युलैंड ने एक साथ दो तत्वो को एक खाने में रखा जो भिन्न गुणधर्म के थे।
मेंडलीफ का आवर्त सारणी-
रुस के रसायनशास्त्री मेंडलीफ का पुरा नाम दिमीत्री इवानोविच मेंडलीफ है । इन्होने 1869 में तत्वो के वर्गीकरण का प्रयास किया था। और 1872 में इसे प्रकाशित करवाया था। इन्होने आवर्त सारणी को जो रुप बनाया था उसे मेंडलीफ की आवर्त सारणी कहते है।
मेंडलीफ के अनुसार-
तत्वो का भौतिक तथा रासायनिक गुण उनके परमाणु भारो का आवर्तफलन होता है इसका मतलब होता है कि तत्वो को परमाणु भारो के बढ़ते क्रम में रखा जाय तो कुछ स्टेप के बाद तत्वो के समानवर्ग के गुणो वाले तत्वो का दोहराव होगा।
तत्वो के इस गुणधर्म के आधार पर मेंडलीफ ने अपनी सारणी में आठ वर्ग बनाये। आठवें तत्व के बाद आने वाला तत्व पहले वर्ग के समान गुण रखता है।
मेंडलीफ के समय कुल 63 तत्वो की खोज हुयी थी। इसलिए इस आवर्त सारणी में कुल 63 तत्वो को स्थान दिया गया था।
विविध-
इनके द्वारा सारणी में तत्वो को परमाणु द्रव्यमान के आधार पर व्यवस्थित किये गये थे।
मेंडलीफ ने तत्वो को सारणी में परमाणु द्रव्यमान के अलावा रासायनिक गुण धर्मो के आधार पर व्यवस्थित किया था।
मेंडलीफ ने रासायनिक गुणधर्म के आधार पर जव तत्वो को व्यवस्थित किया था तो सबसे पहले उन्होने आक्सीजन और हाइड्रोजन का अध्य़न किया था।
मेंडलीफ की Periodic table को पहली आवर्त सारणी माना जाता है।
मेंडलीफ ने जिस सिद्धांत को खोजा था उस सिद्धान्त को पीरियॉडिक लॉ के नाम से जानते है।
मेंडलीफ ने तत्वो को परमाणु भार के अनुसार व्यवस्थित किया था।
मेंडलीफ की आवर्त सारणी में 8 ऊर्ध्वाधर स्तम्भ हैं जिनको समूह के नाम से जानते है तथा 7 क्षैतिज पंक्तियाँ हैं जिन्हे आवर्त के नाम से जानते है।
एक समूह के सभी तत्वों के गुण समान होते है।
तत्वो का वर्गीकरण करते समय इस बात का ध्यान रखा गया था कि समान गुण धर्म वाले तत्व एक ही समूह में रहे। इस कारण कही कही रिक्त स्थान छोड़ा गया था।
मेंडलीफ ने 1872 में जर्मन जनरल के अन्तर्गत इसको प्रकाशित करवाया था।
मेंडलीफ ने अपने द्वारा बनाये गये सारणी को अपनी माँ को समर्पित किया था।
मेंडलीफ को इस बात का ज्ञान था कि भविष्य में और भी तत्व ज्ञात किये जायेगें इसलिए उन्होने पीरियाडिक टेबल में गैप छोड़े थे।
मेंडलीफ के समय जीरो ग्रुप को सामिल नही किया गया था क्योकि इसकी खोज 1900 के बाद पता चला था।
मेंडलीफ ने जो जगह छोड़ी थी उसका नाम दिया गया था पहले के लिए जिसे हम स्कैंडियम के लिए ईका बोरॉन दूसरे के लिए जर्मेनिय के लिए जो जगह छोड़ी गयी थी उसका नाम ईका-सिलिकॉन गैलियम के लिए जो जगह छोड़ी गयी थी उसका नाम ईका-एल्युमिनियम
मेंडलीफ की आवर्त सारणी के दोष-
इन्होने हाइड्रोजन का स्थान निश्चित नही किया था। क्योकि हाइड्रोजन मेटल और नान मेटल दोनो की तरह कभी कभी व्याहार करने लगता है
Periodic table में आइसोटोप का स्थान निश्चत नही हो पा रहा था।